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जनसंख्या विस्फोट भारत को दरिद्रता से निजात दिलाने में सबसे बड़ा रोड़ा
लखनऊ/वेबडेस्क। क्षेत्रफल में मप्र,राजस्थान,महाराष्ट से लगभग तीन गुना कम और आबादी में तीन गुना बड़े सूबे उप्र ने जनसंख्या नियंत्रण कानून पर अमल करके उप्र के समृद्धि की नींव रख दी। इस इतिहासिक फ़ैसले के दूरगामी राजनीतिक,सामाजिक, आर्थिक,शेक्षणिक, व्यवसायिक, रोजगार समन्धित परिणाम निकलना तय है। cm योगी के इस साहसिक फैसले को कुछ प्रतिक्रिया वादियों,कठमुल्लो ने धर्म से जोड़ भरम ओर डर का होवा खड़ा करना चालू कर दिया। इधर दिल्ली हाइकोर्ड ने भी जनसंख्या कानून को राष्ट हित मे शुभ,मंगलकारी,लाभकारी बताया। सांसद सुब्रमण्यम स्वामी सहित 03 अन्य सांसदों ने राज्यसभा में बिल का मसौदा रख सरकार के इरादे स्पस्ट कर दिए। बिल पर मानसून सत्र में जबरजस्त संग्राम का अंदेशा है।
हालिया कोरोना तांडव की विभीषिका ने भारत की चिकित्सा,स्वास्थ्य,फार्मा,शिक्षा, व्यवसाय,परिवहन,यातायात व्यवस्था के मकड़जाल ने चेता दिया।32 करोड आबादी वाला प्रचुर साधन,सुविधा संपन्न अमेरिका,फ्रांस,इटली,जर्मनी जैसे दर्जनो देश कॅरोना मोतो के तांडव को नही रोक पाए।जबकि भारत जैसा 135 करोड़ की आबादी वाला साधनहीन,सुविधा विहीन देश कॅरोना मौत का आंकड़ा 04 लाख से कम रखने में कामयाब रहा।
यदि भारत की आबादी अमेरिका से दो गुनी से थोड़ी अधिक भी होती तो भारत मे दवाओं, पलँगो,ऑक्सीजन, वेंटिलेटर के लिए हाहाकार नही मचता।काला बाजारी नही होती।त्रासदी से निपटने में योगदान देने की बजाय विपक्ष फिजूल गाल बजाने से बच जाता।बेरोजगारी ओर महँगाई की समस्या विकराल नही होती। जीडीपी ओर प्रति व्यक्ति आय में भारत अमेरिका को टक्कर दे रहा होता। रुपये की तुलना में डॉलर मजबूत न होता।मगर इन ज्वलंत विकारों की जड़ में है। जनसंख्या का भयावह विस्फ़ोट।
रिटायर्ड डीजे राजीव सक्सेना ने चीन की कठोर जनसंख्या नीति की मिसाल देते हुए कहाकि चीन ने बढ़ती आबादी से घटते प्राकृतिक संसाधनों,खाद्यन्न,आवास,बिजली स्वछता,चिकित्सा पानी की तंगी आदि समस्याओं की जड़ पर प्रहार किया।1979 में यदि चीन 01 बच्चे पैदा करने की बंदिश नही लगाता तो आज चीन हर तरह से कुबेर होने की बजाय भारत की तरह दरिद्र,भूखा प्यासा ही होता। जबकि भारत की तुलना में चीन का क्षेत्रफल 05 गुना बड़ा है। और भारत? बड़ी डिग्रीधारी लोग बेरोजगार है।गन्दी बस्तियो ओर रेलवे स्टेशनों के तमाशो से मन फटता है।लोगो ने जिंदगी दाव पर लगा कर नदी नालों पर अवैध कब्जे कर डाले। अवैध बस्तियों में अपराध पनपता है।मानव तस्करी ओर योन अपराध होते है।करोडो बच्चो को शिक्षा नही दे पा रहे है। अच्छेअस्पतालो का बेड़ा गर्क करने में चंद साल भी नही लगते। जंगल घट गए। वर्ष भर बहने वाली नदिया नालों का जनसंख्या विस्फोट ने बंटाधार कर दिया।वे बारिस खत्म होते ही सुख जाती है।फरवरी के बाद पीने के पानी के लिये जूतम पैजार के नजारे आम है।सरकार बन्दोबस करके दम ले भी नही पाती और बन्दोबस की धार अधबीच में टूट विकराल समस्या में बदल जाती है।हर साल सेकड़ो नई बस ट्रेने चलाने के बाबजूद जगह नही मिलती।गंदगी और अपराध ने असुरक्षा,तनाव बढ़ा रखा है। न आम न खास बेफिक्र कोई भी नही है।
बची खुची कसर 06 करोड़ अवैध घुसपैठियों,रोहिग्यो ने भारत को धर्मशाला में में बदल कर दी।जज राजीव सक्सेना मानते है। उप्र की योगी सरकार ने थोक वोटों की चिंता करते हुए इस केंसर का समाधान चीन की तरह कठोरतम जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करके किया है। अन्य सूबे भी देर सबेर उप्र के नक्से कदम पर चलेंगे।
सनद रहे कि सांसद स्वामी पहले भी संसद में जनसंख्या नियंत्रण बिल रख चुके है। मगर राजनीतिक दलों ने वोटों के डर और तुष्टिकरण की वजह से बहस ही नही होने दी। कुल 36 बार जनसंख्या नियंत्रण बिल रखा जा चुका है। अब 37 वी बार रखा है। अब हालात अलग है। सरकार को देश हित की चिता ज्यादा है। वोटो की नही। pm मोदी सरकार में तुष्टिकरण की कोई जगह नही है। ये बंगाल के चुनाव में देखा जा चुका है।
37 वी बार बिल को जय मिलना तय है। यदि देश के मौजूदा हालातो, घटते प्राकृतिक सनसाधनों को नजर अंदाज करके केवल धर्म के आधार पर कोई बिल का विरोध करता है तो वो लज्जाजनक ओर द्रोह से कम नही है।यदि सरकार राजनीतिक कारणों से असहाय महसूस करती है तो जैसे सरकारी नोकरी पाने वालों के लिए असम,मप्र सरकारों ने 02 बच्चो का नियम लागू किया है। उसी तरह से लोक जीवन मे भी ये नियम लागू करके भारत को दरिद्र होने से बचाया जा सकता है।
जिन के दो बच्चे से अधिक है। वे न तो आधार,न वोटर न राशन कार्ड के हकदार होने चाहिए। रिटायर्ड जज राजीव सक्सेना ने अपने 40 साला न्यायिक जीवन के कटु अनुभव के आधार पर कहाकि जिन परिवारों में दो से अधिक बच्चे होंगे। उनके अधिकार शून्य कर दिए जाने चाहिए। उन्हें न तो मुफ्त शिक्षा न चिकित्सा न राशन,न आवास दिया जाना चाहिए। उन्हें किसी प्रकार की सामाजिक पेंशन,अनुदान, रोजगारआदि कि पात्रता नही होनी चाहिए।इससे उनकी लत खराब हो गयी। वे राष्ट्रीय,सामाजिक कर्तव्य निभाने की बजाय अधिकारों के लिए सड़क पर उतर उग्रता ओर तनाव भड़काते है। उप्र की योगी सरकार ने हालिया कानून में ये किलेबंदी करके प्रेरक,अनुकर्णीय,साहसिक,इतिहासिक मिसाल पेश की है।
जज सक्सेना के मुताबिक 02 बच्चे वाले 03 करोड़ कुबेर 02 से अधिक यानी 06 से लेकर दर्जन भर बच्चों के करोडो परिवारों को पालने के लिए टेक्स अदा करते है। क्या ये 03 करोड़ टेक्स पेयर के ऊपर प्राकृतिक अत्याचार,अन्याय,शोषण नही है? स्वस्थ लोकतंत्र में ये भेदभाव कब तक बर्दास्त किया जाएगा?लोकतंत्र को बीमार करने वाली भेदभाव मूलक इस नीति के खिलाफ सोशल मीडिया पर जागरण अभियान जोर पकड़ता जा रहा है। 03 करोड़ लोग पसीना बहाए ओर बाकी लोग आलसी, निखट्टू बने देश की छाती पर मूंग दलते रहे। देश को बेदर्दी से लूटते रहे।बेजा हक के लिए लोक संपति फूंकते रहे।इस नीति से देश कभी न तो समृद्ध हो सकता है। न विश्व गुरु बन सकता है। बल्कि ओर दरिद्र बनेगा।
जज सक्सेना का दो टूक मानना है कि हर व्यक्ति की सामाजिक,राष्ट्रीय जम्मेदारिया,जबाबदारी तय किए बिना विकास,रचना,निर्माण का रथ एक पहिए पर अधिक समय नही चलाया जा सकता है। भारत को अपराध मुक्त,तनाव मुक्त, दरिद्र से कुबेर बनाने और हर युवा को रोजगार देने के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून समय की मांग और अपील है।जज सक्सेना का मानना है। देश,प्रदेश,समाज हित के अनेक कानून/नियम राज सरकारें भी बनाकर गैर बराबरी के सैलाब को थाम सकती है। जब तक निखट्टू,मुफ़्त खोर, सरकार का चीर हरण करके मौज करने वाले है। तब तक गन्दी बस्तियों,बेरोजगारी, अपराधों का तांडव होता रहेगा। जल,जंगल और जमीन का बंटाधार होता रहेगा। महँगाई कमर तोड़ती रहेगी।