लखनऊ: ...तो इस बार खत्म होगा वैश्य समाज का 'वनवास', भाजपा बना सकती है प्रदेश अध्यक्ष!, 44 साल से नेतृत्व के लिए तरस रहा वैश्य-दलित समाज...

...तो इस बार खत्म होगा वैश्य समाज का वनवास, भाजपा बना सकती है प्रदेश अध्यक्ष!, 44 साल से नेतृत्व के लिए तरस रहा वैश्य-दलित समाज...
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पार्टी ने अब तक 14 नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष बनाया, इसमें नौ अगड़े तो पांच पिछड़े समाज से शामिल

अतुल मोहन सिंह, लखनऊ। भाजपा नए प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी की तैयारी कर रही है। इसके चलते संगठन का शीर्ष नेतृत्व दिल्ली से लखनऊ और दावेदार लखनऊ से दिल्ली के चक्कर लगा रहे हैं। राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष और प्रदेश प्रभारी/राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े सभी समीकरण, विकल्प और संभावित दावेदार का मन टटोल रहे हैं।

इस कड़ी में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, योगी मंत्रिमंडल के सदस्यों, पार्टी पदाधिकारियों, वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ ही पुराने सहयोगियों से बातचीत कर सबका मन जानने की कोशिश का दौर चल रहा है। चौंकाने वाले निर्णय के लिए विख्यात भाजपा इस बार वैश्य अथवा अनुसूचित समुदाय का वनवास खत्म कर सकती है।

स्थापना काल से अब तक प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी सिर्फ अगड़े अथवा पिछड़े समाज के नेता के हिस्से आई है।

सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम न आने के बाद से पार्टी संगठन स्तर पर भी मेकओवर का मन बना चुकी है। इसके चलते पार्टी में बड़ा उलटफेर होने की संभावना है। इसे नए प्रदेश अध्यक्ष से जोड़कर भी देखा जा रहा है। मना जा रहा है कि 44 वर्ष से उपेक्षित चल रहे समुदाय को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी देकर उनका वनवास खत्म किया जा सकता है।

यह तो तय है कि पार्टी कर्मठ और कैडर बेस कार्यकर्ता को ही अध्यक्ष का दायित्व सौंपेगी। अभी तक प्रदेश अध्यक्ष के सहारे सिर्फ अगड़ी जातियों तो कभी पिछड़ी जातियों को साधने की कोशिश की गई है। पार्टी अब तक अगड़े समाज से आने वाले नौ नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष बना चुकी है। इसमें माधव प्रसाद त्रिपाठी (1980 से 1984 तक), कलराज मिश्र (1991 से 1997 तक), राजनाथ सिंह (1997 से 2000 तक), ओमप्रकाश सिंह (जनवरी-2000 अगस्त-2000), कलराज मिश्र (2000 से 2002 तक), केशरी नाथ त्रिपाठी (2004 से 2007), डॉ.रमापति राम त्रिपाठी (2007 से 2010), सूर्य प्रताप शाही (2010 से 2012), डॉ.लक्ष्मीकांत वाजपेयी (2012 से 2016 तक), डॉ.महेंद्र नाथ पाण्डेय (2017 से 2019 तक) शामिल हैं।

पार्टी ने अपने पांच पिछड़े वर्ग के नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष के ओहदे से नवाजा है। इसमें कल्याण सिंह (1984 से 1990 तक), विनय कटियार (2002 से 2004), केशव प्रसाद मौर्य (2016 से 2017 तक), स्वतंत्र देव सिंह (2019 से 2022 तक) एवं मौजूदा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी (25-अगस्त-2022) शामिल हैं।

वैश्य समाज का दावा क्यों है मजबूत : वैश्य समाज का प्रदेश अध्यक्ष 44 सालों से नहीं बन सका। ऐसे में इस कयास को और बल मिलने लगा है कि 'बनिया समाज' की पार्टी कही जाने वाली भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष पद को अभी तक 'सूखा' बरकरार है।

वास्तविकता यही है कि वैश्य समाज ने हमेशा भाजपा को मजबूत करने में महती भूमिका निभाई। इसका उदाहरण हैं सुनील बंसल, जिन्हें 2014 में प्रदेश महामंत्री (संगठन) नियुक्त किया गया। इसका परिणाम यह हुआ की 2014 में भाजपा ने सहयोगी दलों के साथ 80 में से 73 सीट जीतकर इतिहास रच दिया।

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 312 सीटें जीतकर तीन-चौथाई बहुमत प्राप्त किया। सत्तारूढ़ सपा गठबंधन 54 सीटें और बसपा 19 सीट पर सिमट गई।

2019 में लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन ने 80 में से 64 (2 सीट अपना दल एस की शामिल) सीटें जीती। बसपा ने 10, सपा ने 5, और कांग्रेस ने एक और बसपा शून्य पर आउट हो गई। वैश्य समाज भाजपा के साथ हर स्थिति-परिस्थिति में हमेशा खड़ा नजर आया।

अनुसूचित जाति के नंबर कैसे आगे : आंकड़ों पर नज़र डालें तो स्थापना काल से अब तक अनुसूचित समाज का कोई कार्यकर्त्ता प्रदेश अध्यक्ष पद तक नहीं पहुंच सका है। अगड़े-पिछड़े समाज के प्रभावशाली अध्यक्ष रहे केशव प्रसाद मौर्य (2022) एवं डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय (2024) खुद अपनी ही सीट हार गए।

स्वतंत्र देव सिंह और भूपेंद्र सिंह चौधरी जैसे नेताओं ने कभी चुनाव का सामना नहीं किया। बसपा के ढलान के बाद से दलित समाज भाजपा की ओर उन्मुख हुआ है। इधर बसपा का गिरता जनाधार उधर पश्चिम में बढ़ती आजाद समाज पार्टी की लोकप्रियता ने अनुसूचित समाज को दोराहे पर खड़ा कर दिया है।

इस लिहाज से देखें तो भाजपा अनुसूचित चेहरा देकर दोराहे पर खड़े अनुसूचित मतदाताओं को अपने साथ लाने में कामयाब हो सकती है। सांस्कृतिक मान बिंदुओं की स्थापना (काशी कॉरिडोर का विकास, भव्य राम मंदिर का निर्माण, प्रयागराज महाकुम्भ का ऐतिहासिक आयोजन एवं मथुरा-वृन्दावन में प्रस्तावित कॉरिडोर) के बाद से अब अनुसूचित समाज के लिए भी भाजपा 'अछूत' नहीं रही है।

इन नेताओं के नाम पर चर्चा : सूत्रों के अनुसार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए जिन वैश्य नेताओं का नाम चल रहा है उसमें योगी सरकार के मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नंदी, कपिल देव अग्रवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष सलिल विश्नोई, प्रदेश महामंत्री अनूप गुप्ता, गाजियाबाद के सांसद अतुल गर्ग एवं व्यापारी कल्याण बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष मनीष गुप्ता शामिल हैं।

वहीं, अनुसूचित चेहरे के तौर पर एमएलसी विद्यासागर सोनकर, राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद, प्रदेश उपाध्यक्ष कांता कर्दम, प्रदेश उपाध्यक्ष नीलम सोनकर, प्रदेश महामंत्री प्रियंका सिंह रावत एवं पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं, जिसमें राज्यसभा सांसद डॉ.दिनेश शर्मा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, केशव प्रसाद मौर्य एवं पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ.संजीव बालियान शामिल हैं।

डॉ. नीरज बोरा, अध्यक्ष, इंटरनेशनल वैश्य फेडरेशन, उत्तर प्रदेश

जनसंघकाल से ही वैश्य समाज का झुकाव राष्ट्रवादी विचारधारा की ओर रहा है। भाजपा बनियों की पार्टी कही जाती रही है। गत लोकसभा चुनाव में वैश्य फेडरेशन ने भाजपा को खुला समर्थन भी दिया था।

संगठन के समस्त जिलाध्यक्षों की इसी माह हुए प्रशिक्षण वर्ग में मैंने स्पष्ट किया था कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने कानून-व्यवस्था दुरुस्त कर व्यापार के अनुकूल सकारात्मक वातावरण तैयार किया है। सरकार और संगठन में वैश्य समाज को समुचित प्रतिनिधित्व मिले, इस पर गंभीरता से विचार होना चाहिए। - डॉ. नीरज बोरा, अध्यक्ष, इंटरनेशनल वैश्य फेडरेशन, उत्तर प्रदेश

सुधीर शंकर हलवासिया, अध्यक्ष, अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन, उत्तर प्रदेश

भाजपा और व्यापारी समाज एक-दूसरे का पूरक है। संगठन और सरकार को भी वैश्य समाज का ख़याल रखना चाहिए। व्यापारी कल्याण बोर्ड के फोरम पर व्यापारी अपनी समस्याएं उठाते रहे हैं, जहां उनका समाधान भी सरकार करती रही है। ढाई वर्षों पूर्व ही बोर्ड का कार्यकाल पूरा हो चुका है। सबसे जरूरी है कि सरकार को बोर्ड के पुनर्गठन की कार्यवाही पूरी करनी चाहिए। जहां तक संगठन का प्रश्न है, व्यापारी समाज को भाजपा ने हमेशा से ही मान और सम्मान दिया है, आशा और विश्वास है आगे भी यह और बढ़ता रहेगा। - सुधीर शंकर हलवासिया, अध्यक्ष, अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन, उत्तर प्रदेश

वैश्य समाज से दावेदार

  • नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी, मंत्री, उत्तर प्रदेश
  • कपिल देव अग्रवाल, मंत्री, उत्तर प्रदेश
  • सुनील विश्नोई, प्रदेश उपाध्यक्ष
  • अनूप गुप्ता, प्रदेश महामंत्री
  • अतुल गर्ग, सांसद, गाजियाबाद
  • मनीष गुप्ता, उपाध्यक्ष, व्यापारी कल्याण बोर्ड

*अनुचित समाज के दावेदार*

  • विद्यासागर सोनकर, एमएलसी
  • बाबूराम निषाद, राज्यसभा सांसद
  • कांता कर्दम, प्रदेश उपाध्यक्ष
  • नीलम सोनकर, प्रदेश उपाध्यक्ष
  • प्रियंका सिंह रावत, प्रदेश महामंत्री
  • कौशल किशोर, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री
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