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यूपी में कोरोना से बिगड़ते हालातों पर प्रियंका गांधी के बाद अखिलेश यादव ने कसा तंज
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस से सबसे अधिक मौत और मरीजों की संख्या आगरा में है। यहां कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को रोकने के लिए बनाए गए मॉडल की देशभर में चर्चा हुई, बावजूद इसके यहां संक्रमण कम होने का नाम ही नहीं ले रहा। रोज यहां नए मामले मिलते जा रहे हैं। हालात यह है कि यहां मरने वालों की संख्या में भी इजाफा होता जा रहा है। आगरा में अब तक 373 मरीज कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए हैं जबकि 11 लोगों ने इस बीमारी से दम तोड़ा है। यहीं कारण है कि आगरा मॉडल पर विपक्ष लगातार सवाल उठाने लगा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के बाद अब यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी आगरा मॉडल पर तंज कसा है।
सोमवार को अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए ट्वीट किया कि मुख्यमंत्री द्वारा बहुप्रचारित कोरोना से लड़ने का 'आगरा मॉडल' मेयर के अनुसार फ़ेल होकर आगरा को वुहान बना देगा। न जाँच, न दवाई, न अन्य बीमारियों के लिए सरकारी या प्राइवेट अस्पताल, न जीवन रक्षक किट और उस पर क्वॉरेंटाइन सेंटर्स की बदहाली प्राणांतक साबित हो रही है। जागो सरकार जागो!
कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा आगरा के मेयर की बातों को सकारात्मक भाव से लेना और तुरंत पूरी तरह से जनता को महामारी से बचाने का प्रयास करना महत्वपूर्ण है।उन्होंने रविवार को ट्वीट कर कहा है कि आगरा शहर में हालात खराब है। रोज नए मरीज निकल रहे हैं। आगरा के मेयर का कहना है कि अगर सही प्रबंध नहीं हुआ तो मामला हाथ से निकल जाएगा। कल भी मैंने इसी चीज को उठाया था। पारदर्शिता बहुत जरूरी है। टेस्टिंग पर ध्यान देना जरूरी है। कोरोना को रोकना है तो फोकस सही जानकारी और सही उपचार पर होना चाहिए।
21 अप्रैल को आगरा के मेयर नवीन जैन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर जिले की हालत चिंता जताई थी। मेयर ने लिखा था कि कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यदि उचित प्रबंधन नहीं हुआ तो आगरा देश का वुहान बन सकता है। उन्होंने जिला प्रशासन की कार्य शैली पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने पत्र में कहा है कि स्थानीय प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने में नकारा साबित हुआ है। उनका आरोप है कि जिला प्रशासन द्वारा शहर में बनाए गए हॉटस्पॉट और क्वारंटाइन सेंटर में कई-कई दिनों तक जांच नहीं हो पा रही है। इतना ही नहीं सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों को छोड़कर किसी अन्य मरीज का इलाज भी नहीं किया जा रहा है।