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अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी को नहीं दिला पाए कोई जीत, कमान संभालने के बाद हारे सभी चुनाव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मतगणना के रुझानों में भाजपा को जबर्दस्त बढ़त मिल चुकी है। वहीं सत्ता में आने का सपा का सपना चकनाचूर होता दिख रहा है। अखिलेश यादव जब से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और सपा के अध्यक्ष बने तब से उनके खाते में हार ही आयी।
समाजवादी पार्टी के पूर्व मुखिया और संरक्षक मुलायम सिंह ने जिस पार्टी को उत्तरप्रदेश और केंद्रीय राजनीति के शीर्ष तक पहुंचाया था। उस दल का भविष्य आज अखिलेश यादव के हाथों में गर्त में जाता नजर आ रहा है।
समाजवादी पार्टी ने वर्ष 2012 में उत्तरप्रदेश विधानसभा का चुनाव मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में लड़ा था। उन्होने सपा को 224 सीटें दिलाई थी। मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बना दिया। इसी के साथ मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव को पार्टी की कमान भी सौंप दी। अखिलेश यादव मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद नाही सरकार ठीक से चला पाये और न ही संगठन।
2014 लोकसभा में हार -
उनके फैसलों की वजह से पार्टी में फूट पड़ने लगी चाचा शिवपाल समेत कई दिग्गज नेताओं ने पार्टी छोड़ दी।वहीँ चुनाव की बात करें तो अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद वर्ष 2014 में हुए लोकसभा के चुनाव में सपा की करारी हार हुई।मुलायम सिंह ने जहां 2009 लोकसभा चुनाव में प्रदेश में पार्टी के 23 सांसद जितवाये थे वहीं अखिलेश के समय वर्ष 2014 में सपा के मात्र पांच प्रत्याशी ही लोकसभा चुनाव जीत सके थे।
विधानसभा चुनाव हारे -
इसके बाद 2017 का विधानसभा चुनाव हुआ। इस चुनाव में अखिलेश ने पिता मुलायम सिंह को अनसुना कर कांग्रेस के साथ गठबंधन किया। राहुल और अखिलेश की जोड़ी ने यूपी को ये साथ पसंद है नारे के साथ जोर-शोर से प्रचार किया। लेकिन इसके बावजूद सपा महज 47 सीटें ही जीत सकी।इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सपा सिर्फ पांच सीटें ही जीत सकी।
पंचायत चुनाव हार -
इसके बाद उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में भी सपा की जबर्दस्त हार हुई। अब 2022 के विधानसभा चुनाव में भी सपा की जबर्दस्त हार होती दिख रही है। इस बार विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश अपने चाचा शिवपाल को मनाने में सफल रहे, लेकिन उसका खास असर मतदाताओं पर नहीं पड़ा।
2022 में एक बार फिर हार -
2022 विधानसभा चुनाव सपा और अखिलेश यादव का भविष्य तय करने वाला चुनाव माना जा रहा था। इस चुनाव में छोटे दलों और रालोद के जयंत सिंह का साथ भी सपा को सत्ता नहीं दिला पाया। अखिलेश ने महंगाई, किसान, बेरोजगारी जैसे मुद्दे लेकर जीत की हवा बनाई थी। लेकिन भाजपा की आंधी में एक बार फिर उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा है।