अमर सिंह का राजनीतिक सफर, कांग्रेस से की शुरू फिर मुलायम के हो गए थे बेहद करीब

अमर सिंह का राजनीतिक सफर, कांग्रेस से की शुरू फिर मुलायम के हो गए थे बेहद करीब
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लखनऊ। राज्यसभा सांसद और सपा के पूर्व नेता अमर सिंह का सिंगापुर में शनिवार को निधन हो गया। अमर सिंह ने अपनें राजनीतिक सफर की शुरुआत कांग्रेस के साथ की थी। इसके बाद अमर सिंह मुलायम सिंह के साथ हो गए और दोनों एक दूसरे के बेहद करीब आ गए। अमर सिंह की मर्जी के बगैर सपा में कुछ नहीं होता था। लोकसभा और विधानसभा में टिकट से लेकर मंत्री बनाने तक का फैसला वे करते थे। अमर सिंह समाजवादी पार्टी के महासचिव व राज्य सभा के सदस्य रह चुके हैैं। मुलायम अक्सर राय लिया करते थे लेकिन वक्त बदला तो सपा से दूरी बननी शुरू हुई।

बात फिरोजाबाद उपचुनाव की है कि जब सपा की हार को लेकर यादव परिवार और अमर सिंह में अनबन शुरू हुई। इस चुनाव में मुलायम सिंह ने अपनी बहू डिंपल यादव को टिकट दिया था। हार के बाद अमर सिंह ने कहा था कि सपा को उसका अतिविश्वास ले डूबा।

अमर सिंह ने महासचिव समेत पार्टी के तीन पदों से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि अब वो अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहते हैं। हालांकि उस समय कहा गया कि सिंह पार्टी में अपने घटते हुए कद से नाराज थे। दस दिनों तक इस्तीफे पर चुप रहने वाले मुलायम ने बाद में उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया।

सपा से निकाले जाने से बाद से बीजेपी का भगवा रंग चढ़ने लगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियां भी उन्हें पंसद आने लगी। अमर सिंह मोदी की तारीफ करने लगे। अमर सिंह लखनऊ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में शामिल हुए। अमर सिंह इस कार्यक्रम में भगवा रंग का कुर्ता पहने पहली लाइन में बैठे थे। मोदी ने अमर सिंह की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यहां अमर सिंह बैठे हैं, वे सबकी हिस्ट्री निकाल देंगे।

राष्ट्रीय लोकमंच पार्टी का गठन इस्तीफे के बाद सपा प्रमुख मुलायम ने अमर सिंह को पार्टी से बर्खास्त कर दिया। अमर सिंह कुछ दिनों तक राजनीतिक रूप से निष्क्रिय रहे, हालांकि कुछ ही दिनों बाद उन्होंने अपनी पार्टी 'राष्ट्रीय लोक मंच' बनाई। इससे उन्हें कोई लाभ नहीं मिला।

इसके बाद 2014 का लोकसभा चुनाव उन्होंने आरएलडी ज्वाइन कर लिया और फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट से मैदान में उतरे लेकिन वो जीत नहीं पाए। इसके बाद मुलायम सिंह से फिर उनकी नजदीकियां बढ़ी। मुलायम सिंह ने रामगोपाल और आजम खां की नाराजगी को नजर अंदाज करते हुए अमर सिंह को 2016 में राज्यसभा भेजा।

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