उप्र : खाकी छोड़ खादी पहनने वाले असीम अरुण और राजेश्वर सिंह जीते, योगी सरकार में मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी

उप्र : खाकी छोड़ खादी पहनने वाले असीम अरुण और राजेश्वर सिंह जीते, योगी सरकार में मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
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लखनऊ/वेब डेस्क। खाकी वर्दी छोड़ खादी पहनने वाले दोनों पूर्व आईपीएस असीम अरुण और राजेश्वर सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंच गए है। लखनऊ की सराजेनीनगर सीट पर राजेश्वर सिंह चुनाव जीत गये हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से इस्तीफा देने के बाद राजेश्वर सिंह को भारतीय जनता पार्टी ने लखनऊ की सरोजिनी नगर विधानसभा सीट पर मैदान में उतारा था। उन्होंने समाजवादी के निकटतम प्रत्याशी अभिषेक मिश्रा को 26122 मतों से हरा दिया है।

राजेश्वर सिंह को लखनऊ की सरोजिनी नगर सीट पर 89505 मत मिले। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अभिषेक मिश्रा को 61205 मत मिले। वहीँ बसपा के मोहम्मद जीशान खान 21472 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

कौन है राजेश्वर सिंह -

राजेश्वर सिंह वीआरएस के लिए आवेदन के वक्‍त वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) लखनऊ जोन के संयुक्त निदेशक के रूप में कार्यरत थे। उनकी गिनती सुपरकॉप में होती थी। वर्ष 2009 में उत्तर प्रदेश पुलिस से प्रतिनियुक्ति पर वह ईडी में शामिल हुए थे। वर्ष 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे राजेश्वर सिंह ने वर्ष 2015 में स्थायी रूप से ईडी कैडर में शामिल कर लिया गया था। वह लगभग 24 वर्षों की सरकारी सेवा कर चुके हैं और 11 वर्ष का सेवाकाल उनका शेष था।

असीम अरुण ने दर्ज की जीत -

वहीं पूर्व डीजीपी में असीम अरुण ने कन्नौज सीट पर एक बार फिर भाजपा को जीत दिलाई है। असीम अरुण ने समाजवादी गठबंधन प्रत्याशी अनिल कुमार दोहरे को 6,163 मतों से पराजित किया है। असीम अरुण को 12,0219 वोट मिले है तो वहीं, सपा गठबंधन प्रत्याशी अनिल कुमार दोहरे को 114056 वोट मिले। हालांकि, अभी अधिकारिक घोषणा होना बाकी है।

सिंघम अधिकारियो में गिनती -

असीम अरुण एडीसी रैंक के अधिकारी असीम अरुण को सबसे पहले SWAT बनाने का भी श्रेय जाता है। वो 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। पिछले साल मार्च में उन्होंने कानपुर पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी संभाली ली। इससे पहले असीम अरुण एटीएस चीफ के पद पर नियुक्त थे। यूपी पुलिस के 'सिंघम' अधिकारियो में उनकी गिनती होती है। उनका जन्म तीन अक्टूबर 1970 को बदायूं में हुआ। असीम अरुण के पिता भी आईपीएस अधिकारी थे। उन्होंने प्रदेश के डीजीपी का पद भी संभाला था।

मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी -

दोनों पूर्व आईपीएस अधिकारी बड़ी जीत के साथ पहली बार विधानसभा पहुंचे है। दोनों अधिकारियों की काबिलियत को देखते हुए माना जा रहा है की उन्हें योगी सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।

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