सीएम योगी ने कोरोना के बीच ही ब्लैक फंगस से बचाव की मांगी रिपोर्ट

सीएम योगी ने कोरोना के बीच ही ब्लैक फंगस से बचाव की मांगी रिपोर्ट
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सीएम अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य और प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, राज्य स्तर पर गठित स्वास्थ्य विशेषज्ञों की परामर्शदात्री समिति से इस पर विमर्श कर बीमारी से बचाव, इलाज और तैयारियों के बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय को विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है।


लखनऊ: कोरोना की दूसरी लहर का मुकबला करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार किसी स्तर पर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस युद्ध में हर स्तर पर पूरी सतर्कता व ठोस रणनीति के साथ कदम बढ़ाए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई के बीच ही 'ब्लैक फंगस' नाम की बीमारी का असर भी देखा जा रहा है। उन्होंने अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य और प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, राज्य स्तर पर गठित स्वास्थ्य विशेषज्ञों की परामर्शदात्री समिति से इस पर विमर्श कर बीमारी से बचाव, इलाज और तैयारियों के बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय को विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास पर कोविड प्रबंधन की समीक्षा बैठक में टीम-9 को विभिन्न दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की नीति के अनुरूप सभी प्रदेशवासियों के जीवन और जीविका की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी प्रयास किए जा रहे हैं। संक्रमण दर लगातार कम होता जा रहा है, जबकि रिकवरी दर हर दिन बेहतर हो रही है। विगत 24 घंटों में प्रदेश में 18,125 नए कोविड केस की पुष्टि हुई है, जबकि इसी अवधि में 26,712 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए हैं।

वर्तमान में प्रदेश में 2,06,615 एक्टिव केस हैं, जो प्रदेश में संक्रमण के पीक 3.10 लाख से लगभग 1 लाख 4 हजार कम हैं। 30 अप्रैल से 11 मई के 11 दिनों में संक्रमण में आई यह कमी संतोषप्रद है। अब तक 13 लाख 40 हजार 251 प्रदेशवासियों ने कोविड को हराकर आरोग्यता प्राप्त की है।

कम्युनिटी किचन की संख्या को बढ़ाया जाए :

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोविड मरीजों के लिए बेड बढ़ोतरी की दिशा में प्रयास और तेज किए जाने की आवश्यकता है। बीते 24 घंटो में चिकित्सा शिक्षा विभाग के विभिन्न अस्पतालों में 115 बेड, वाराणसी में डीआरडीओ अस्पताल में आईसीयू के 250 और लखनऊ के हज हाउस स्थित एचएएल हॉस्पिटल में आईसीयू के 100 बेड की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि आंशिक कोरोना कर्फ्यू को दृष्टिगत रखते हुए रेहड़ी, पटरी, ठेला व्यवसायी, निर्माण श्रमिक, पल्लेदार आदि के भरण-पोषण की समुचित व्यवस्था की जाए। अधिकांश जिलों में कम्युनिटी किचन प्रारम्भ हो चुके हैं। इनकी संख्या और बढ़ाये जाने की जरूरत है।

ऑक्सीजन प्लांट लगाने की प्रक्रिया तेज की जाए :

सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए हैं। सहारनपुर में नए ऑक्सीजन प्लांट अगले दो दिन में चालू हो जाएंगे। चीनी विभाग द्वारा 75 जिलों में प्लांट स्थापना की प्रक्रिया तेजी से की जा रही है। कोविड के उपचार हेतु एयर सेपरेटर यूनिट, ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना आदि के संबंध में सांसद/विधायक निधि से सहयोग किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि बीते 24 घंटों में 1014.53 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया है। इसमें रीफिलर को 619 एमटी और मेडिकल कॉलेजों को 313 एमटी ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई। ऑक्सीजन की मांग आपूर्ति और खर्च में संतुलन बनाने के लिए कराए जा रहे ऑक्सीजन ऑडिट के अच्छे परिणाम मिले हैं। प्रधानमंत्री की प्रेरणा से संचालित 'पीएम केयर्स' के माध्यम से प्रदेश के सभी जिलों में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की स्वीकृति मिल गई है।

कोविड टीकाकरण में प्रथम स्थान पर उत्तर प्रदेश :

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोविड टीकाकरण की प्रक्रिया प्रदेश में सुचारु रूप से चल रही है। 45 वर्ष से अधिक और 18-44 आयु वर्ग के लोगों को कोविड सुरक्षा कवर प्रदान करने में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। अब तक 1,11,63,988 लोगों को पहली डोज और 29,35,607 लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज प्राप्त कर ली है। इस तरह 01 करोड़ 40 लाख 99 हजार 95 कोविड वैक्सीन एडमिनिस्टर हुए हैं। प्रदेश के 18 जिलों में 18-44 आयु वर्ग के लोगों के 2,16,897 लोगों ने टीका-कवर प्राप्त कर लिया है, इनमें 49,744 लोग बीते 24 घंटों में वैक्सीनेट हुए हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप की जाए अंत्येष्टि :

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोविड के कारण होने वाली हर मृत्यु दुखद है। मृतकों के परिजनों के प्रति प्रदेश सरकार की संवेदनाएं हैं। अंत्येष्टि की क्रिया मृतक की धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप ससम्मान किया जाए। अंत्येष्टि क्रिया को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा आवश्यक वित्तीय सहायता भी दी जा रही है। किसी भी मृतक की अंत्येष्टि के लिए जल प्रवाह की प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। इस संबंध में धर्मगुरुओं से संवाद किया जाए, लोगों को जागरूक करने की आवश्यक्ता है।

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