पिछली सरकारों की अदूरदर्शिता के कारण चीन जैसे नास्तिक देश मूर्ति भेज रहे थे : मुख्यमंत्री

पिछली सरकारों की अदूरदर्शिता के कारण चीन जैसे नास्तिक देश मूर्ति भेज रहे थे : मुख्यमंत्री
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विश्वकर्मा श्रम सम्मान में मुख्यमंत्री ने 21 हजार को दिए टूल किट

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना' के तहत प्रशिक्षित लाभार्थियों को टूलकिट तथा 'प्रधानमंत्री मुद्रा योजना' के तहत ऋण वितरित किया। लखनऊ स्थित लोकभवन में इस आयोजन के साथ प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर टूलकिट तथा ऋण वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया।

'विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना' के 21 हजार प्रशिक्षित लाभार्थियों को टूलकिट वितरण के साथ-साथ 11 हजार से अधिक लाभार्थियों को 'प्रधानमंत्री मुद्रा योजना' से जोड़ा गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मौके पर कहा कि राज्य सरकार को 2017 में अयोध्या में दीपोत्सव के लिए 51 हजार दीप जुटाने के लिए पूरे प्रदेश की खाक छाननी पड़ी थी। इस वर्ष हम 'साढ़े सात लाख' दिया जलाने जा रहे हैं। ये सभी दीये अयोध्या के आस-पास ही बन रहे हैं। हमारे कारीगरों ने लक्ष्मी- गणेश की मूर्ति बनाना छोड़ दिया था। पिछली सरकारों की अदूरदर्शिता के कारण चीन जैसे नास्तिक देश हमारे यहां मूर्तियां भेजने लगा था। तब की सरकारों ने चिंता नहीं की। आज हमारे कारीगर मूर्तियां बना रहे हैं। चीन से अच्छी, सुंदर और टिकाऊ। उन्हीं कारीगरों के चेहरों पर आज खुशहाली आ गयी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी लंबी दूरी तय करनी है। अब तक लगभग एक लाख हस्तशिल्पियों को प्रशिक्षण और टूलकिट वितरित किया गया है। योगी आदित्यनाथ ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के सेवा के 20 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर 'विकास उत्सव' मनाया जा रहा है। परंपरागत शिल्पियों के हुनर को नमन करते हुए योगी ने कहा कि हमारे लिए यह इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि भगवान विश्वकर्मा की आदिकाल से ही मान्यता रही है। हम उन्हें निर्माण के देवता के रूप में पूजते आ रहे हैं। प्रदेश में 26 दिसम्बर 2018 को विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना की शुरुआत हुई। तब से यह सिलसिला चलता आ रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में हर कोई चिंतित था कि आखिर उत्तर प्रदेश का क्या होगा। सबने मिलकर संभाला। आज बेरोजगारी की दर चार- पांच फीसदी है। यह संतोष प्रदान करने वाला है। शिल्पियों को 100 करोड़ का टूल किट वितरित किया गया है। प्रधनमंत्री कहते हैं कि हमें अपने परंपरागत उद्यम और कारीगरी को एक मंच देना ही होगा। उनका प्रशिक्षण कराएं।

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