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कोरोना का कहर : श्मशान और कब्रिस्तान 'वेटिंग' पर
लखनऊ: कोरोना महामारी के चलते लखनऊ की स्थिति बहुत ख़राब हो चली है। याबी आपकी जागरूकता ही आपको बचा सकती है। 'देहांत से लाख बेहतर एकांत है'। 'जरा ही सावधानी हटी, तो पूड़ी-सब्जी बंटी' वाले हालात हो गए हैं। सरकारी अस्पताल भर चुके हैं। सभी मेडिकल कॉलेज पहले से उफनाए हुए हैं। निजी चिकित्सालय भरे हुए हैं। निजी नर्सिंग होम संचालकों ने नोट गिनने की मशीनें लगा ली हैं। श्मशान घाट में वेटिंग चल रही है।
कब्रिस्तान में कब्र खोदने वालों को तेजी से काम करने को कह दिया गया है। लखनऊ नगर निगम ने 60+30=90 नए अंत्येष्टि स्थलों का लोकार्पण कर दिया है। इससे भी भयावह बात यह है कि विद्युत शवदाह गृह में पांच नई मशीनें लगाने के आदेश दिये गए हैं। हालांकि, लखनऊ जिला प्रशासन ने 2,000 बेड बढ़ाने और एम्बुलेंस की संख्या दोगुनी करने के आदेश दिए हैं। मतलब समझ रहे हैं आप? अभी ही शवदाहगृह अपनी क्षमता में चुक चुका है।
शव को जलाने के लिये तो छोड़िए, रखने तक को जगह नहीं मिल रही है। गोमती नदी के किनारे जमीन पर रख कर शव जलाये जा रहे हैं। पर इससे क्या? असली ख़बर तो यह है कि लखनऊ में अब लोग सिम्पटम्स होने पर भी अपना कोरोना टेस्ट नहीं करा रहे हैं। मतलब जो पिछले चौबीस घंटे के आंकड़े जारी किये गए हैं, उससे दस गुना अधिक मामले समझिए। लोग टेस्ट क्यों नहीं करा रहे है? कारण उनका घर बांस-बल्ली लगाकर बंद कर दिया जाएगा। उनके घर मेड आना बंद हो जाएगी। आस-पास से जो मदद मिल रही है वो भी मिलनी बंद हो जाएगी।
अपनी थोड़ी सी सुविधा के लिये कोरोना बम बनने से भी इन्हें परहेज़ नहीं है। लॉकडाउन लगना कहीं से भी हितकर नहीं होता। मुख्यमंत्री योगीजी ने स्पष्ट भी किया है लॉकडाउन अभी लगाने की बात नहीं सोची जा रही है। लॉकडाउन न होने पर भी अगर जरूरत न हो तो, हम स्वयं अपने आप को घर में लॉक क्यों नहीं कर लेते?
लखनऊ वालों ने ख़ूब होली खेली, ख़ूब होली मिलन किया अब कोरोना ऐसे गले पड़ा है कि अगले दो तीन महीने हालात सुधरने से रहे। अब भी समय है चेत जाइये। मास्क और सैनेटायज़र का प्रयोग करिये। न किसी को खाने पीने की चीज़ दें, न उससे लें। जहां तक हो सके हर इंसान से दूर रहिये। नहीं तो प्रकृति 'योग्यतम की उत्तरजीविता' का सिद्धांत लागू करने जा रही है। अभी भी वक्त है संयम और समझदारी से पेश आइए।