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आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं डॉ. बीएस बेदी : मुकुल गोयल
लखनऊ। डॉ. बीएस बेदी आज की युवा पीढी के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। कर्तव्य के प्रति उनकी निष्ठा और आम लोगों से जुड़ाव हम सब के लिए उदाहरण है। यह बात प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल ने सोमवार को राजधानी में डॉ. प्रीती सिंह द्वारा रचित पुस्तक "अ लाइफ अनकॉमन-बी.एस. बेदी" का विमेचन करते हुए कही। डीजीपी मुकुल गोयल पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पधारे थे। उन्होंने डॉ. बीएस बेदी की ओर से पुलिस सेवा में रहते हुए किये गये सरानीय कार्यों को आदर्श स्थापित करने वाला बताया। उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय, सिग्नेचर बिल्डिंग गोमतीनगर विस्तार में आयोजित विमोचन कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विशिष्ट अतिथि एवं लेखिका के पारिवारिक सदस्य मौजूद रहे।
प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल ने कहा कि डॉ बीएस बेदी ने उत्तर प्रदेश एवं देश के अन्य भागों में विभिन्न चुनौतीपूर्ण तैनातियों में बड़ी विशिष्टता के साथ सेवा करते हुए ख्याति अर्जित की। उनकी छवि एक ईमानदार अधिकारी की रही है जिन्हें सेवानिवृत्ति के तीन दशकों के बाद भी पुलिस बल एवं आम जनता के बीच आदर के साथ याद किया जाता है। इससे पहले पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम की शुरुआत आई.पी.एस. अनुकृति शर्मा के स्वागत भाषण से हुई। इसके बाद पुस्तक एवं उसकी लेखिका का परिचय दिया गया। सभागार में मौजूद विशिष्ट अतिथियों एवं अधिकारियों के लिए डॉ. बी.एस.बेदी का एक संदेश उनके दामाद यूपी के पुलिस महानिदेशक प्रशिक्षण डॉ. आर.पी.सिंह, ने पढ़ा । अपने संबोधन के दौरान उन्होंने अपने ससुर के साथ अपने अनुभवों को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि एक पुलिस अधिकारी के रूप में अपने शानदार कैरियर के दौरान डॉ. बी.एस. बेदी ने अपने संतुलित और प्रभावी होने के साथ-साथ एक उत्कृष्ट, निडर और ईमानदार अधिकारी के रूप में अपनी योग्यता साबित की। अपनी अद्वितीय पेशेवर क्षमताओं एवं सत्यनिष्ठा के कारण वे आई.पी.एस. अधिकारियों में आईकॉन बने हुए थे।
मुख्य अतिथि के पुस्तक का विमोचन करने के बाद लेखिका डॉ. प्रीती सिंह ने अपने पिता पूर्व डीजीपी डॉ. बीएस बेदी के व्यक्तिगत एवं पेशेवर अनुभवों को संकलित करने की अपनी यात्रा को दर्शकों के साथ साझा किया। इसके बाद पुस्तक के कुछ अंशों को भी पढ़ा। उन्होंने बताया कि उनके पिता का मानना था कि अनुशासन, लक्ष्य और उपलब्धि के बीच का सेतु है। उनका यह भी कहना है कि अधिकारी को अपने कार्यों को वास्तव में प्रभावी होने के लिए पारदर्शिता, नैतिकता और ईमानदारी की कसौटी पर खरा उतरना चाहिये। उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक एस.वी.एम. त्रिपाठी ने भी अपने विचार रखे और डॉ. बी.एस. बेदी के साथ अपने लम्बे जुड़ाव की यादें साझा की। राष्ट्रगान के साथ समारोह का समापन हुआ।
पुस्तक में लेखिका डॉ. प्रीती सिंह ने पुस्तक में अपने पिता डॉ. बी.एस. बेदी (आई.पी.एस., सेवानिवृत्त डी.जी.पी.) के व्यक्तिगत एवं पेशेवर अनुभवों का संकलन किया है। डॉ. बी.एस.बेदी वर्ष 1961 बैच के आई.पी.एस अधिकारी रहे हैं। अपने समय के सबसे ऊर्जा वान और ख्याति प्राप्त आई.पी.एस. अधिकारियों में से एक माने जाने वाले डॉ. बेदी को उनकी पुलिसिंग की बेमिसाल शैली के कारण अन्तर्राज्यीय प्रतिनियुक्ति के लिये चुना गया था। पंजाब राज्य में जब उग्रवाद चरम पर था उस दौरान उन्हें जालन्धर रेंज में पुलिस उप महानिरीक्षक के महत्वपूर्ण पद का दायित्व तथा जम्मू कश्मीर में अनियंत्रित आतंकवादी गतिविधियों से उत्पन्न गंभीर स्थिति से निपटने के लिए पुलिस महानिदेशक के पद की जिम्मेदारी दी गई थी। भारतीय पुलिस सेवा से सेवानिवृत्ति के बाद डॉ. बेदी ने यूपी लोक सेवा आयोग में सदस्य के रूप में कार्य किया तथा उसके पश्चात् शिक्षाविदों की दुनिया में लौट आये।