- Home
- /
- देश
- /
- उत्तरप्रदेश
- /
- लखनऊ
मदरसों में छात्रवृत्ति के नाम पर फर्जीवाड़ा
लखनऊ। पूर्ववर्ती सरकारों में मदरसों के नाम होने वाले फर्जीवाड़े को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार हरकत में आई है। ऐसे लगभग तीन हजार मदरसे पाए गए हैं, जिनका न तो कहीं पंजीकरण है और न ही इन मदरसों ने तय मानक पूरे किए हैं। और छात्रवृत्ति के नाम पर प्रदेश को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा था। मामले को संज्ञान में लेते हुए ये कार्रवाई करते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार ने मदरसों को मान्यता देने पर रोक लगा दी है।
गैर पंजीकृत मदरसों की ओर से नए सिरे से मान्यता के लिए आवेदन किए जाने को लेकर सरकार से अनुमति मांगी जा रही है लेकिन फिलहाल सरकार ने इस पर रोक लगाई है। गौरतलब है कि इसकी रोकथाम के लिए 2017 में उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने मदरसा पोर्टल लॉन्च किया था। सभी मदरसों के लिए इस वेब पोर्टल पर खुद को पंजीकृत कराना अनिवार्य कर दिया गया था। इसके लिए बाकायदा पंजीकरण के लिए सरकार ने मानक तय किए थे। लेकिन वेब पोर्टल पर आए आवेदनों की पड़ताल करने पर पाया गया कि तीन हजार के करीब मदरसे फर्जी पाए गए हैं।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मोहम्मद खालिद के मुताबिक उत्तर प्रदेश में पहले 19123 मदरसे पंजीकृत थे लेकिन मदरसा वेब पोर्टल पर अभी तक 16277 को ही पंजीकरण की अनुमति मिली है। यानी, कुल 2846 मदरसे फर्जी निकले। रामपुर के मदरसों में कुल छात्रों की संख्या 40,000 है जबकि पूरे उत्तर प्रदेश में 20 लाख ऐसे छात्र हैं, जो विभिन्न मदरसों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
मदरसा शिक्षा परिषद ने कुछ मानक तय किए हैं। मसलन, प्राइमरी स्तर के मदरसे के लिए 3 कमरे, जूनियर हाई स्कूल स्तर के लिए 6 कमरे और हाईस्कूल स्तर के मदरसे के लिए 10 कमरे होना अनिवार्य कर दिया गया है। इन सबके अलावा प्राइमरी स्तर के मदरसों में छात्रों की संख्या कम से कम 60 होनी ही चाहिए। नए मदरसों की मान्यता पर प्रदेश सरकार ने जुलाई 2016 से रोक लगाई हुई है, इसलिए फिलहाल मान्यता नहीं दी जा रही है।" उत्तर प्रदेश में मदरसा वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन होने के बाद 2846 मदरसे फर्जी निकले। इसके पहले उत्तराखंड में आधार से अकॉउंट लिंक करने पर दो लाख मदरसा छात्र गायब हो गए थे जो फर्जी तरीके से स्कॉलरशिप ले रहे थे।