दिल्ली सीएम के फैसले पर मायावती ने उठाए सवाल, बाेलीं - मोदी सरकार को देना चाहिए दखल

दिल्ली सीएम के फैसले पर मायावती ने उठाए सवाल, बाेलीं - मोदी सरकार को देना चाहिए दखल
X

लखनऊ। दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली के लोगों के इलाज देने के अरविंद केजरीवाल सरकार के फैसले पर यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती ने सवाल खड़े किए हैं। मायावती ने सोमवार को ट्वीट करके कहा कि दिल्ली सरकार का यह फैला यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण। केन्द्र की मोदी सरकार को इसमें जरूर दखल देना चाहिए।

मायावती ने कहा कि दिल्ली देश की राजधानी है। यहां पूरे देश से लोग अपने जरूरी कार्यों से आते रहते हैं। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति अचानक बीमार पड़ जाता है तो उसको यह कहकर कि वह दिल्ली का नहीं है इसलिए दिल्ली सरकार उसका इलाज नहीं होने देगी, यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण। इससे पहले मायावती ने एक अन्य ट्वीट कर कहा कि अनलाॅक-1 के तहत आज से जो भी स्थल व बाजार आदि खोले जा रहे हैं, वहां जाने के लिए लोगों को सरकारी नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए। यदि बहुत जरूरी है तब ही वहां जाना चाहिए, वरना जाने से बचना चाहिये। बीएसपी की उनके हित में यही सलाह है।

दिल्ली देश की राजधानी है। यहाँ पूरे देश से लोग अपने जरूरी कार्यों से आते रहते हैं। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति अचानक बीमार पड़ जाता है तो उसको यह कहकर कि वह दिल्ली का नहीं है इसलिए दिल्ली सरकार उसका इलाज नहीं होने देगी, यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण। केन्द्र को इसमें जरूर दखल देना चाहिये।

दिल्ली के अस्पतालों में दिल्लीवालों को ही इलाज मिलेगा। सरकार ने इस फैसले के साथ कुछ दस्तावेजों को की सूची तैयार की है जिसके आधार पर आपको दिल्लीवाला मानकर इलाज किया जाएगा। इसमें आधार कार्ड, पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड, बैंक पासबुक समेत लगभग वह सबी दस्तावेज शामिल है जो कि बतौर एड्रेस प्रूफ या फिर मतदान के समय मान्य होते है। इसमें बिजली व पानी का काबिल भी शामिल है। सभी दस्तावेज दिल्ली के होने चाहिए।

दिल्ली में बड़ी संख्या में किरायेदार रहते है। ये वो जो कि दूसरे राज्य से रोजगार के लिए दिल्ली में आते है। अगर उनके पास दस्तावेज नहीं होंगे तो इलाज कराने अपने राज्य वापस जाएंगे। इसपर दिल्ली सरकार का कहना है कि उनके पास कोई न कोई दस्तावेज होगा। सरकार का तर्क है एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली की आबादी 2.01 करोड़ है। दिल्ली में वर्तमान में 1.40 करोड़ से अधिक मतदाता है। यानि 70 फीसदी लोगों का इलाज सिर्फ मतदाता पहचान पत्र से हो जाएगा।

इसके अलावा लोगों के पास बिजली पानी का बिल, बैंक, पोस्टआफिस का पासबुक, पासपोर्ट, आधार जो कि दिल्ली के पते का हो उसे भी अस्पतालों में इलाक के मान्य होगा। बाकी जो बचेगा उसे केंद्र सरकार के अस्पतालों में इलाज कराने की छूट है। रेंट एग्रीमेंट कॉलेज आई कार्ड को नहीं मानने के पीछे सरकार का तर्क है कि इसे कोई भी बनवा लेता है। इसके चलते अस्पतालों में गड़बड़ियां होती। इसलिए इसे सूची में शामिल नहीं किया गया है।

Tags

Next Story