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अखिलेश यादव का 'पांचवां' अलायंस टूटने की कगार पर: एक बार फिर जुदा होंगी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की राहें…
लखनऊ। 2024 लोकसभा चुनाव में केंद्र की मोदी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए बनी इंडिया गठबंधन की गांठ चुनाव दर चुनाव खुलती जा रही है। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों की हार के बाद अब ये गठबंधन टूटने की कगार पर पहुंच गया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ममता ने गठबंधन का नेतृत्व करने की इच्छा जाहिर की है। सपा मुखिया अखिलेश यादव समेत तमाम नेता ममता बनर्जी के साथ खड़े नजर आ रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी होने के चलते क्षेत्रीय दलों का नेतृत्व कभी नहीं स्वीकार करेगी। ऐसे में अगर इंडिया गठबंधन टूटता है तो सबसे बड़ा झटका अखिलेश यादव को लग सकता है।
तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी सपा
दरअसल बीते लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। यही वजह है कि सपा मुखिया पूरे जोश में दिखाई दे रहे हैं और 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी में अभी से जुड़ गए हैं।
लेकिन जिस इंडिया गठबंधन के बलबूते अखिलेश यादव ने अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की है, वो गठबंधन टूटने की कगार पर है। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में सपा का सपना सपना बनकर रह सकता है।
2017 में आई थी दो लड़कों की जोड़ी
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा जब चुनाव से पहले अखिलेश ने किसी दल के साथ गठबंधन किया और चुनाव बाद वो गठबंधन टूटने जा रहा है। इससे पहले 2017 विधानसभा चुनाव में सपा का कांग्रेस से गठबंधन हुआ था, लेकिन चुनाव बाद यूपी के दो लड़कों की जोड़ी अलग हो गई थी। इसके बाद 2018 लोकसभा उपचुनाव में अखिलेश यादव ने निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया पर यह भी लंबा नहीं चल सका।
2019 में मायावती संग हुआ गठबंधन
इसी तरह 2019 लोकसभा चुनाव में सालों पुरानी दुश्मनी भूलकर बसपा सुप्रीमो मायावती से समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ। उस समय सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी मौजूद थे। मायावती ने बाकायदा मुलायम सिंह यादव के लिए प्रचार भी किया था। यहां तक कि उस चुनाव में मायावती के सपा उम्मीदवार को वोट देने की बात कही गई थी। लेकिन इस गठबंधन की गांठे भी चुनाव के नतीजे आने के बाद खुल गई थी।
2022 में ओपी राजभर आए थे सपा के साथ
इसी तरह 2022 विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के साथ आकर सुभासपा मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खूब भला-बुरा बोला था। लेकिन गठबंधन टूटने के बाद वहीं ओपी राजभर आज अखिलेश पर सवाल खड़े कर रहे है। इस तरह यह पांचवा गठबंधन होगा जो चुनाव से पहले बना और चुनाव के बाद टूटने के कगार पर आ गया है।
सपा-कांग्रेस गठबंधन को लेकर वरिष्ठ पत्रकार का बड़ा दावा
वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह का मानना है कि 2027 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन बना रहेगा। कि गठबंधन में अब वर्चस्व बनाने की बात है और अखिलेश यादव नहीं चाहते हैं कि गठबंधन में कांग्रेस का वर्चस्व बना रहे।
अखिलेश यादव आगामी विधानसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर गठबंधन के साथ चुनाव लड़ सके, इसलिए चुनाव से पहले ही दबाव बनाना चालू कर दिया है। सपा चाहती है कि वह अपनी मर्जी से जो सीटें दे दें, कांग्रेस उसी को स्वीकार कर लें।
अगर गठबंधन टूटता है तो सभी नेताओं का फेलियर है, किसी एक नेता को दोष नहीं दिया जा सकता है। कांग्रेस एक बड़ी राष्ट्रीय पार्टी है बाकी सब क्षेत्रीय दल है।
इन क्षेत्रीय दलों की महत्वाकांक्षा की वजह से गठबंधन टूटने की कगार पर है। कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी होने के चलते कभी नहीं चाहेगी की इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कोई क्षेत्रीय दल का नेता या पार्टी करे।
'बीजेपी के इशारे पर हो रहा खेल'
सुरेश बहादुर सिंह ने कहा कि इंडिया गठबंधन में शामिल नेताओं की महत्वाकांक्षा के कारण ही गठबंधन टूटने की कगार पर आ गया है। अब सभी पार्टियों के निशाने पर कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी है।
महाराष्ट्र चुनाव की हार का ठीकरा सभी राहुल गांधी पर फोड़ना चाहते हैं। जबकि महाराष्ट्र में एनसीपी और उद्धव गुट का आपसी टकराव ही हार का कारण बना है। चुनाव से राहुल गांधी का कोई लेना देना नहीं था।
अब इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को ही तोड़ने की कोशिश की जा रही है। ये सब कुछ बीजेपी के इशारे पर हो रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि आगे होने वाले चुनाव में इंडिया गठबंधन सत्तापक्ष को मजबूत टक्कर ना दे सकें।
गठबंधन बनते ही टूटने के लिए हैं : सुरेश बहादुर सिंह
वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह ने कहा कि जहां तक गठबंधन बनने और टूटने की बात है तो एक बात साफ है कि गठबंधन बनते ही टूटने के लिए हैं। गठबंधन तात्कालिक परिस्थितियों को देखकर बनाए जाते हैं।
जब वैचारिक गठबंधन हो या आपसी तालमेल के साथ गठबंधन हो उस स्थिति में गठबंधन दूर तक चलता है। लेकिन अपने-अपने हितों को ध्यान में रखकर गठबंधन बनाए जाते है। यही वजह है कि गठबंधन ज्यादा समय तक टिक नहीं पाता है।
सुरेश बहादुर सिंह ने कहा कि अखिलेश यादव को 2027 का विधानसभा चुनाव दिख रहा है। हाल ही में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के मजबूती से साथ न देने की वजह से समाजवादी पार्टी की परफॉर्मेंस ठीक नहीं रही है। इसीलिए कांग्रेस पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों ले रहे हैं।