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इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल: लखनऊ के पंकज प्रसून छठवीं बार विज्ञान कविताओं से करेंगे हिंदी भाषा का प्रतिनिधित्व…
लखनऊ। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तत्वावधान में 30 नवंबर से 3 दिसंबर तक गुवाहाटी आईआईटी में चार दिवसीय दसवें इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल-2024 का आयोजन किया जा रहा है।
इसमें 2 दिसंबर को 'विज्ञानिका' नाम से बहुभाषी विज्ञान कवि सम्मेलन हो रहा है। इसमें लखनऊ के व्यंग्यकार एवं हास्य कवि पंकज प्रसून को हिंदी कवि के रूप में आमंत्रित किया गया है।
पंकज प्रसून विज्ञान कविता का आंदोलन कई वर्षों से चला रहे हैं। वह कवि सम्मेलन के मंच से भी विज्ञान कविताएं पढ़ते रहे हैं। वह बताते हैं कि इतने बड़े वैज्ञानिक महोत्सव में कवि सम्मेलन से विज्ञान कविता की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता मिल रही है। विज्ञान कविता का यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा है।
शुरू में इसे साइंस पापुलराइजेशन के प्रमुख टूल के रूप में स्थान नहीं मिल पा रहा था। मैंने परमाणु ऊर्जा पर कविता की किताब 'परमाणु की छांव में' लिखी जो बहुत पसंद की गई हिंदी संस्थान का वर्ष 2017 का एन भाल पुरस्कार भी इसको तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक से मिला।
एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने इसे परमाणु ऊर्जा पर कविता की प्रथम पुस्तक के रूप में रिकॉर्ड बुक में शामिल किया। हाल ही में इस किताब का तीसरा संस्करण इंडियन न्यूक्लियर सोसायटी की अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ.विवेक भसीन और प्रसिद्ध न्यूक्लियर वैज्ञानिक प्रो.बीएन जगताप की उपस्थिति में हुआ।
पंकज बताते हैं कि इस किताब के आने के बाद विज्ञान कविताओं का एक माहौल पूरे देश में बना। आईआईएसएफ-2018 में विज्ञान कविता की वर्कशॉप जैव प्रौद्योगिकी मंत्रालय आयोजित की। इसे पंकज प्रसून ने संचालित किया।
इसमें देशभर से आए चुनिंदा ढाई हजार बच्चों ने प्रतिभाग किया। यह कार्यशाला बेहद सफल रही, जिसमें 450 विद्यार्थियों ने विज्ञान कविताएं कन्नड़, तमिल, तेलुगू, मलयालम, बंगला एवं उड़िया में लिखी थी, जिनमें से विजेता 10 प्रतिभागियों को मेडल प्रदान किए गए। इस बार इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल का उद्घाटन 30 नवंबर को होगा। इसमें देश-विदेश से 12,000 वैज्ञानिक एवं टेक्नोक्रेट्स प्रतिभाग कर रहे हैं।
पंकज प्रसून यूं तो हास्य कवि हैं, पर वह बताते हैं कि विज्ञान कविता उनका मिशन है। वह विज्ञान को सीरियस नहीं, बल्कि सेलिब्रेशन बनाना चाहते हैं। आम जनमानस में कविता के माध्यम से विज्ञान को प्रसारित किया जा सकता है।
सरल-सरल तरीके से विज्ञान को आम लोगों तक पहुंचाया जाए तो वैज्ञानिक चेतना का विकास होगा। पंकज प्रसून का लक्ष्य है कि विज्ञान कविताएं प्राइमरी के पाठ्यक्रम में शामिल हों, जिससे बच्चे के विकास के शुरुआती दौर में ही वह विज्ञान की गूढ बातें कविताओं से सीख जाए।