विपक्ष के डीएनए में विभाजन, पहले देश को बांटा, अब बांट रहे समाज को : सीएम योगी

विपक्ष के डीएनए में विभाजन, पहले देश को बांटा, अब बांट रहे समाज को : सीएम योगी
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लखनऊ। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला है। योगी ने कहा कि कुछ ऐसे लोग हैं जिनके डीएनए में विभाजन है, उनको पूरा कुछ भी अच्छा नहीं लगता। वो हर चीज़ की कांट-छांट करना चाहते हैं, जाति, क्षेत्र और मजहब के आधार पर बांटना उनकी प्रवृति बन चुकी है। इन्होंने पहले देश को बांटा, उसके बाद जाति के आधार पर सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न किया।

योगी ने देवरिया विधानसभा क्षेत्र (गोरखपुर) के मंडल, बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वर्चुअल संवाद कर रहे थे। योगी ने कहा कि जब भी इन्हें सत्ता मिली। इन्होंने अपने परिवार के अलावा किसी को नहीं माना। इनके लिए अपना परिवार और खानदान ही देश है,समाज है, बाकी कुछ नहीं है। जब भी सत्ता में आते हैं तो परिवार की बात करते हैं और जब सत्ता से बाहर जाते हैं तो विभाजन और षड्यंत्र करने में कोई कोताही नहीं बरतते है।

इससे पहले मल्हनी उपचुनाव की वर्चुअल बैठक योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा है कि श्रमिकों को जब सरकार घर पहुंचाने में जुटी थी तो कुछ राजनीतिक दल षड्यंत्र कर रहे थे। बस के स्थान पर स्कूटर व कबाड़ा ट्रकों के नंबर दिए जा रहे थे। वही षड्यंत्र अभी भी बंद नहीं हुए। यह वंशवादी सोच है। भ्रष्टाचार को एकाधिकार समझने वाली सोच, लोकतंत्र का गला घोंटने वाली सोच, भाई -भतीजे के नाम पर सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने वाली सोच है। इस सोच के पोषक लोग जातीय दंगा कराना चाहते हैं। ऐसे दलों को बेनकाब करना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सोच के लोग जब माफिया और अपराधियों पर कार्रवाई होती है तो सबसे ज्यादा परेशानी इन्हीं लोगों को होती है। इसकी खुन्नस कैसे निकाले, अलग-अलग षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। हमें घबराना नहीं चाहिए। षड्यंत्र इनके वास्तविक चेहरे को उजागर कर देता है। चेहरों को बेनकाब कर देता है। उन्होंने आह्वान किया कि हमें न घबराना है और न पीछे हटने की जरूरत है। हम 'सबका साथ सबका विकास ही हमारा लक्ष्य है। यह नया यूपी है, जो अपराधियों का मानमर्दन करता है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने शुक्रवार को विपक्षी दलों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जनता अभी उन लोगों को भूली नहीं है, जिन्होंने सत्ता में रहते हुए आंतकियों से मुकदमें वापसी की कोशिशें की थी लेकिन न्यायालय के कड़े रुख से ऐसे दल आंतकियों को रिहा कराने के मंसूबों में सफल नहीं हो सके।

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