दिव्यांगजनों के कौशल को समय से पहचानने की है जरूरत : योगी आदित्यनाथ

दिव्यांगजनों के कौशल को समय से पहचानने की है जरूरत : योगी आदित्यनाथ
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प्रधानमंत्री दुनियाभर के दिव्यांगों को आत्म सम्मान प्राप्त करने के लिए उन्हें विकलांग से दिव्यांग शब्द दिया। कोई भी व्यक्ति अपरिपक्व की स्थिति में है तो उसके साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार होना चाहिए। उन्होंने इसी सहानुभूति को दर्शाने के लिए प्रधानमंत्री ने यह शब्द उच्चारण की व्यवस्था की।

विश्व दिव्यांग दिवस पर मुख्यमंत्री ने कहा, राज्य में दिव्यांगजनों के लिए की जा रही हर व्यवस्था

लखनऊ । प्रधानमंत्री दुनियाभर के दिव्यांगों को आत्म सम्मान प्राप्त करने के लिए उन्हें विकलांग से दिव्यांग शब्द दिया। कोई भी व्यक्ति अपरिपक्व की स्थिति में है तो उसके साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार होना चाहिए। उन्होंने इसी सहानुभूति को दर्शाने के लिए प्रधानमंत्री ने यह शब्द उच्चारण की व्यवस्था की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये बातें कहीं। वह रविवार को विश्व दिव्यांग दिवस पर डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के अटल आडिटोरियम में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों के कौशल को समय से पहचानने की जरूरत है। यदि समय से पहचान हो जाए तो वे हर जौहर को दिखाने में सफल होंगे। प्रदेश में दिव्यांगजन को बांधा रहित वातावरण दिये जाने की व्यवस्था की जा रही है। इसका प्रयास हर जगह हो रहा है। उप्र परिवहन निगम की बसों में नि:शुल्क यात्रा की व्यवस्था की गयी है। प्रदेश के अंदर दिव्यांगजन की चिकित्सा के लिए 10 हजार रुपये कर दिया गया है। इस अवसर पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं तथा मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दिव्यांग हर काम को कर सकता है। उनके प्रयासों को सही दिशा में आगे बढ़ाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने 2016 में दिव्यांगजन अधिनियम लागू किया था। राज्य सरकार ने दिव्यांगजन से जुड़ी व्यवस्थाओं को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। हमने अब 300 से 1000 रुपये मासिक पेंशन देने की कार्रवाई की है। पहले 312 करोड़ था, अब 1120 करोड़ रुपये दिव्यांगजन के लिए व्यवस्था की गयी है। कृत्रिम अंग वितरण कार्यक्रम युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन को उच्चशिक्षा देने के लिए भी सरकार कृतसंकल्पित है। इसके लिए राज्य सरकार हर स्तर पर व्यवस्था कर रही है। देश का पहला राज्य है, जहां पर दिव्यांगजनों के लिए दो-दो विश्वविद्यालय हैं। दिव्यांगजनों को जब भी अवसर मिला है, तब उन्होंने अपने कौशल को दिखाया है। स्वामी रामभद्राचार्य जी को कौन नहीं जानता है। जब उन्हें समय मिला तो उन्होंने अपने कौशल को दिखाया है। एशियन गेम्स और ओलंपिक में भी हमारे दिव्यांगजनों ने ज्यादा मेडल जीते थे।

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