उप्र में नहीं होगी महंगी बिजली, अब स्मार्ट मीटर का खर्च उपभोक्ताओं पर नहीं डाल सकेंगी कंपनियां

उप्र में नहीं होगी महंगी बिजली, अब स्मार्ट मीटर का खर्च उपभोक्ताओं पर नहीं डाल सकेंगी कंपनियां
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लखनऊ। यूपी के बिजली उपभोक्ताओं को उ.प्र. विद्युत नियामक आयोग ने बड़ी राहत दी है। बिजली कंपनियों द्वारा दाखिल स्लैब और बिजली दर परिवर्तन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। वर्तमान स्लैब और दर ही राज्य में लागू रहेगी। स्मार्ट मीटर वाले विद्युत उपभोक्ताओं को भी आयोग के फैसले से राहत मिली है। बिजली कंपनियां स्मार्ट मीटर पर होने वाले किसी भी खर्च को उपभोक्ताओं से नहीं वसूल सकेंगी।

नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह, सदस्य वीके श्रीवास्तव और केके शर्मा की पूर्ण पीठ ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया। जिसमें 2020-21 के लिए दाखिल स्लैब परिवर्तन और टैरिफ प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उपभोक्ता परिषद द्वारा दाखिल बिजली दरों में कमी के लिए जनता प्रस्ताव पर आयोग ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। जनता प्रस्ताव का आधार बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 13337 करोड़ रुपये को बनाया गया है। ब्याज जोड़ने के बाद यदि बिजली कंपनियों द्वारा इस धनराशि को उपभोक्ताओं को देने का फैसला हुआ तो बिजली दरों को कम करनी पड़ सकती हैं। यूपी पावर कारपोरेशन ने वर्तमान में लागू 80 स्लैब को कम कर 53 किए जाने का प्रस्ताव किया था। इस प्रस्ताव से बड़ी तादाद में उपभोक्ताओं के बिल का बोझ बढ़ने वाला था, हालांकि कुछ श्रेणी के उपभोक्ताओं को राहत भी मिल रही थी।

आयोग ने बिजली कम्पनियों के ट्रूअप 71525 करोड़ के प्रस्ताव में से 60404 करोड़ ही अनुमोदित किया है। वर्ष 2020-21 के लिए दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) 70792 करोड़ रुपये की जगह 65175 करोड़ ही आयोग ने अनुमोदित किया है। बिजली कंपनियों द्वारा मांगी गई वितरण हानियां 17.90 प्रतिशत को खारिज करते हुए इसे 11.54 प्रतिशत अनुमोदित किया है। आयोग के इन अनुमोदनों से बिजली कम्पनियों पर 2020-21 में भी उपभोक्ताओं का करीब 800 करोड़ रुपये निकल रहा है। आयोग ने बिजली कंपनियों के प्रस्ताव में शामिल 4500 करोड़ रुपये के गैप को नहीं माना है।

पांच किलोवाट तक कनेक्शन जोड़ने और काटने (आरसीडीसी) फीस 50 रुपये तथा पांच किलोवाट से अधिक 100 प्रति कनेक्शन अनुमोदित किया है। अभी तक बिजली कम्पनियां आरसीडीसी फीस के रूप में कनेक्शन जोड़ने और काटने के मद में 300-300 रुपये वसूल रही थीं। स्मार्ट मीटर प्रीपेड उपभोक्ताओं से आरसीडीसी फीस नहीं ली जाएगी। पावर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा ट्रांसमिशन टैरिफ जिसे 34 पैसा प्रति यूनिट प्रस्तावित किया गया था आयोग ने उसे 23 पैसा ही अनुमोदित किया है।

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि उपभोक्ताओं की मांग पर आयोग ने सकारात्मक रूख दिखाया है। स्लैब परिवर्तन के प्रस्ताव का खारिज किया जाना यह साबित करता है कि परिषद की मांगें सही थी। उन्होंने कहा है कि बिजली दरों में कमी करने के मामले में आगे निर्णय लिए जाने पर आयोग की सहमति भी उपभोक्ताओं की जीत है। परिषद जल्द ही फिर से बिजली दरें कम करने का प्रस्ताव आयोग में दाखिल करेगा।

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