उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर चुनाव: थमा प्रचार का शोर, अब रणनीति पर जोर…

थमा प्रचार का शोर, अब रणनीति पर जोर…
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20 नवंबर को 90 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में होगी कैद, भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है यह उपचुनाव।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए सोमवार शाम 6 बजे प्रचार का शोर थम गया। आखिरी दिन, सभी राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी थी। अब दो दिन रणनीति बनाने पर जोर रहेगा। प्रचार थमने के बाद वोटिंग 20 नवंबर को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होगी और नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।

यूपी की 9 सीटों पर हो रहे उपचुनाव भाजपा, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है। भाजपा ने जहां विकास और हिंदुत्व के एजेंडे पर भरोसा जताया है, वहीं सपा ने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूले पर जोर दिया।

भाजपा विकास और हिंदुत्व के भरोसे

भाजपा ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संगठन के बड़े नेताओं को मैदान में उतारा। सीएम योगी ने सभी सीटों पर जनसभाएं कीं और 'विकास, गरीब कल्याण योजनाओं और एकता' का संदेश दिया। उन्होंने अपने मशहूर नारे 'बंटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे' से मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की।

अखिलेश की सक्रियता और पीडीए फार्मूला

सपा ने इस बार उपचुनाव को लेकर विशेष रणनीति बनाई है। अखिलेश यादव ने खुद सभी 9 सीटों पर प्रचार किया, जो उनके पहले के रुख से अलग है। मीरापुर में सोमवार को रोड शो करते हुए अखिलेश ने भाजपा पर निशाना साधा और पीडीए फार्मूले को फिर से दोहराया।

सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए मोमेंटम की लड़ाई

यह उपचुनाव पश्चिम से पूरब तक फैली 9 सीटों पर हो रहा है, जिनमें भाजपा, सपा और रालोद का वर्चस्व रहा है। भाजपा के खाते में गाजियाबाद, खैर और फूलपुर सीटें हैं, जबकि सपा के पास करहल, सीसामऊ और कुंदरकी जैसी सीटें। विपक्ष इन चुनावों को अपनी बढ़त बनाए रखने के अवसर के रूप में देख रहा है, जबकि भाजपा इसे सत्ता में अपनी पकड़ को मजबूत करने का मौका मान रही है।

मतदान की तैयारी और सुरक्षा व्यवस्था

चुनाव आयोग ने शांतिपूर्ण मतदान के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। सभी मतदान केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे और सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। अब नजरें 20 नवंबर की वोटिंग पर हैं, जो सत्ता और विपक्ष के बीच नई राजनीति की जमीन तैयार करेगी।

90 प्रत्याशी आजमा रहे अपनी किस्मत

9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए 149 नामांकन हुए थे, जिनकी जांच के बाद 95 उम्मीदवार योग्य पाए गए। 30 अक्टूबर, नाम वापसी की अंतिम तारीख थी, जिसमें पांच प्रत्याशियों ने अपना नाम वापस ले लिया, अब इन सीटों पर 90 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा।

यूपी में क्यों हो रहे उपचुनाव

लोकसभा चुनाव 2024 में 9 विधायक सांसद निर्वाचित हो गए थे। इसके बाद इन्होंने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके चलते ये सीटें खाली हो गईं। जबकि कानपुर की सीसामऊ सीट से सपा के विधायक रहे इरफान सोलंकी को गैंगस्टर मामले में सजा हो गई है। इसके चलते उनकी विधायकी चली गई और ये सीट खाली हो गई। अब इन्हीं 9 सीट पर उपचुनाव होना है। अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव होने थे पर कोर्ट में मामला होने के कारण इलेक्शन कमीशन ने मिल्कीपुर में चुनाव की घोषणा नहीं की है।

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