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घरों में कैद हुए लोग तो गिरिराज की तलहटी में विचरण करने लगा तेंदुआ
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अजय खंडेलवाल
मथुरा। कोरोना के डर से लोग घरों में कैद हुए तो प्रकृति का सौंदर्य निखरने लगा है। पर्यावरण, नदी, झरने, हवा, वन और पर्वत अपने मूल स्वरूप की ओर लौट रहे है। इस बीच वन्य जीव भी जंगलों मंें स्वच्छंद विचरण कर रहे है। मथुरा के गोवर्धन में भी ऐसी ही एक घटना ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यहां गोवर्धन के जंगलों में एक तेंदुआ विचरण करता हुआ मिला। चमत्कार की बात ये है कि न तो इस तेंदुए ने किसी जीव को नुकसान पहुंचा और न इंसान को। राहत की बात ये रही कि वन विभाग ने भी अपनी पूरी कुशलता से इस जीव को बिना नुकसान पहुंचाए इसे पकड़कर सहारनपुर के जंगलों में छोड़ दिया।
लाॅकडाउन के बाद यमुना-गंगा नदियों की स्वच्छता, हवा के शुद्ध होने की खबरों ने मन प्रफुल्लित कर दिया है। आदमी घरों में कैद है तो वन्य जीव भी खुलेआम घूम रहे है। मानो अरसे बाद ये अपने स्थानों पर निर्भीक होकर घूमने का आनंद ले रहे है। ब्रज की संस्कृति में वन, उपवनों का उल्लेख है तो यहां जीवों के स्वछंद विचरण के मनोरम दृश्य भी हमारे इतिहास की किताबों में मौजूद है। विगत दिवस की घटना ने इस इतिहास को एक बार फिर सजीव कर दिया है। गोवर्धन के जंगलों में एक तेंदुए की आहट ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी। सूचना वन विभाग के पास पहुंची तो उनकी टीमों ने भी जंगलों में डेरा डाल लिया। एक्सपर्ट ने खेतों में जानवर के पंजों के निशान देखे तो ये तय हो गया कि जंगल में तेंदुआ ही विचरण कर रहा है। आशंका इस बात की भी प्रबल थी कि ये तेंदुआ कहीं किसी इंसान को हानि न पहुंचा दे। ऐसे में वन विभाग की टीम ने इसे पकड़ने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। 12 घंटे की मशक्कत के बाद इस तेंदुए को विभागीय टीम ने पकड़ लिया। चमत्कार की बात ये रही कि इस दौरान इस तेंदुए ने न किसी वन जीव को नुकसान पहुंचाया और न ही किसी इंसान को। किदवंतियां तो ये भी है कि कृष्णकालीन गिरिराज पर्वत और यहां के वन-उपवन के प्रति ये जीव भी भक्ति भाव रखते है और गिरिराज जी की परिक्रमा का अलौकिक आनंद उठाते है। संभवतयः ये तेंदुआ भी इसी आनंद में डूबकर गिरिराज की परिक्रमा लगा रहा हो।