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पुलिस वालों की स्थिति हो गई चौमासे के बंदरों जैसी
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मथुरा। लाॅक डाउन की इस बेला में कुछ पुलिस वालों की स्थिति चौमासे के बंदरों जैसी हो गई है। जैसे वर्षा काल में बंदर खिसियाने होकर बिना बात के लोगों पर न सिर्फ गुर्राते हैं बल्कि काट खाते हैं।
ठीक वही हाल इन पुलिस वालों का है। दरअसल इनकी बड़ी कमाई तो बंद हो गई है और पिदाई ज्यादा हो रही है। बात यह है कि पहले तो तरह-तरह से कमाई होती ही थी ऊपर से होटलों आदि से मुफ्त का लजीज खाना खाते ही नहीं थे बल्कि अपने घरों तक भी पहुंचवाते थे। ऐसा नहीं कि यह स्थिति सभी पुलिस वालों की है। कुछेक पुलिस वाले ऐसे भी हैं जो मानवीय दृष्टिकोण रख रहे हैं और यथासंभव पीड़ितों की मदद कर रहे हैं। ऐसे पुलिस वाले अच्छे संस्कार वाले परिवारों के हैं।
दूसरी ओर गैर संस्कारी परिवारों के पुलिस वाले खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए बेगुनाह लोगों को भी गंदी-गंदी गालियां दे रहे हैं और डंडों से मार-मार कर अपमानित भी कर रहे हैं। यदि कोई पास दिखाता है तो उसे भी नहीं देखते और भगा देते हैं। एक और मजेदार बात यह है कि स्कूटर मोटरसाइकिल पर यदि दो आदमी सवार होकर जाते दिखाई देंगे तो ये उनको रोककर एक को उतरवा देते हैं और खुद मोटरसाइकिल पर डबल डबल लदे रहते हैं।