यमुना की सिल्ट का यमुना में ही समाना तय

यमुना की सिल्ट का यमुना में ही समाना तय
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यमुना के किनारे इकठ्ठी की गई सिल्ट और घाट के बीच भरा पानी
-बरसात से ठीक पहले यमुना की सफाई का सच, घाट और सिल्ट के बीच भर गया पानी, काम ठप्प

अजय खंडेलवाल

मथुरा। आखिर वही हुआ जिसकी आशंका थी। अब यमुना से निकली सिल्ट का यमुना में ही समाना तय हो गया है। नगर निगम और यमुना मिशन ने जिस सिल्ट को निकालकर कर अपनी वाह-वाही लूटी थी, उस सिल्ट के ढेर और घाटों के बीच पानी भर गया है। ऐसे में मशीन का चलना मुश्किल है, ऐसे में काम बंद है। बरसात सिर पर है, जानकारों का मानना है कि ये सब सुनियोजित है।

यमुना मिशन और नगर निगम जिस कार्य को अपनी उपलब्धि बताकर प्रचारित कर रहा है दरअसल वो धन की बर्बादी और गोलमाल का सुनियोजित हिस्सा है। यमुना में सिल्ट निकालने का जो तरीका है उस पर लोग सवाल उठा रहे है। इधर सोमवार को जो दृश्य सामने आया उसके बाद लोगों की समझ में आ गया कि आखिर होने क्या जा रहा है।

सोमवार को यमुना से निकली सिल्ट के ढेर और घाटों के बीच पानी भर गया। इसके बाद सिल्ट को बाहर निकालने का कार्य ठप्प हो गया। बरसात आने को है ऐसे में लोग अब इस कारनामे की हकीकत को आसानी से समझ रहे है। लोगों का कहना है कि अगर नगर निगम और एनजीओ की नीयत सही होती तो वो इस सिल्ट को घाटों के पक्के फर्श पर रखकर सुखाते और फिर आसानी से इसे उठाने का कार्य हो जाता। पार्षद प्रतिनिधी रामकृष्ण चतुर्वेदी ने कहा बरसात से ठीक पहले इस कार्य को करने का कोई औचित्य नहीं है। अगर दो-तीन माह पहले ये काम होता तो जरूर इसका लाभ लोगों को मिलता। उन्होंने इस कार्य को जनता के धन की बर्बादी बताया।

इधर स्वदेश समाचार पत्र में शीर्षक बरसात से ठीक पहले यमुना की सफाई के कारनामे का सच पढ़ने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। भाजपा के ही पार्षद हेमंत अग्रवाल ने इस पर सवाल उठाए है। उन्होंने कहा कि ये कार्य फरवरी में ही हो जाना चाहिए था, बिलंव नुकसानदेह साबित होगा। अब निगम को जल्द से जल्द सिल्ट उठानी चाहिए। व्यापारी नेता विष्णु दास अग्रवाल ने नगर निगम पर व्यंग्य करते हुए लिखा है, हम नहीं सुधरेंगे। श्रीमद भागवत आयोजन कथा समिति के संस्थापक पंडित अमित भारद्वाज ने खबर को यथार्थ का चित्र कहा है तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के वरिष्ठ नेता राकेश चतुर्वेदी ने भी इस क्रियाकलाप पर सवाल उठाए है।

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