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सच उजागर हुआ तो दौड़े अधिकारी, अब कर रहे है ऐसा काम आप भी रह जाएंगे हैरान
अजय खंडेलवाल
मथुरा। बरसात से ठीक पहले यमुना की सफाई का सच उजागर हुआ तो अधिकारियों में खलबली मच गई। आनन-फानन में अधिकारी अब जो काम कर रहे है वो हास्यास्प्रद है। अब नगर निगम के कर्मचारी यमुना के एक किनारे से सिल्ट हटाकर दूसरे किनारे पर डंप कर रहे है। पर्यावरण रक्षकों ने जब उन्हें टोका तो ये कर्मचारी अभद्रता पर उतर आए।
मामला बरसात से ठीक पहले यमुना से सिल्ट निकाले जाने का है। यमुना मिशन और नगर निगम के इस कारनामे का सच स्वदेश समाचार पत्र ने उजागर किया तो नगर निगम की टीम ने बुधवार को यमुना के किनारे रखी सिल्ट को उठाना शुरू कर दिया। मजेदार बात ये रही कि इस सिल्ट को यमुना के एक किनारे से उठाकर दूसरे किनारे पर डंप किया जा रहा है। ऐसे में अगर बरसात आई तो ये गंदगी एक बार फिर यमुना में ही गिर जाएगी। तो फिर नगर निगम, यमुना मिशन इस कार्य पर लाखों रूपया क्यों बर्बाद कर रहा है।
ग्रीन अर्थ फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रेम सिंह मौके पर पहुंचे तो नगर निगम के इस क्रियाकलाप को देखकर दंग रह गए। उन्होेंने बताया कि मौके पर मौजूद सुरेंद्र यादव से जब इसके बारे में पूछा तो वो अभद्रता पर उतर आए। बहरहाल इतना तय है कि जब निगम सिल्ट को डंपिंग ग्राउंड पर ले जाने की बात को प्रचारित कर रहा है तो इसे यमुना के किनारे डंप करने औचित्य क्या है। वो भी तब जब बरसात सिर पर है। इस पूरे खेल में बड़ा गोलमाल है जिसे नगर निगम छिपा रहा है।
जनता के धन की बर्बादी कर रहा है निगम-पार्षद प्रतिनिधी
क्षेत्रीय पार्षद ऋचा चतुर्वेदी के पति और उनके प्रतिनिधी रामकृष्ण चतुर्वेदी ने बताया कि निगम घाटों के किनारे की सिल्ट तो निकाल रहा है लेकिन यहीं पर लगाए बालु के बोरों को नहीं हटा रहा है। जब ये सिल्ट हट जाएगी तो घाटों के किनारे खाई बन जाएगी जिसमें आए दिन हादसे होंगे। इतना ही नहीं यमुना के एक किनारे से सिल्ट हटाकर दूसरे किनारे पर पटकना जनता के धन की बर्बादी है और कुछ नही है।