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बरसात में जलभराव की आशंका से परेशान है मंडी कारोबारी
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मथुरा। प्रदेश में मानसून की दस्तक से भले ही किसान और आम जन के चेहरे खिल उठे हों, लेकिन मंडी कारोबारी बेचैन है। बीएसए काॅलेज से मिलने वाला मंडी नाला चोक पड़ा है। ऐसे में जलभराव तय है। व्यापारियों को चिंता इस बात की है कि अगर पानी भरा तो उनकी दुकानों, गोदामों में रखा कृषि उत्पाद खराब हो जाएगा। इधर अधिकारी इस संकट से पूरी तरह से बेखबर है।
मंडी समिति में बने नाले का पानी हाइवे से बीएसए काॅलेज पुलिया के रास्ते बड़े नाले में जाता है। ये नाला राष्ट्रीय राजमार्ग (हाइवे) के अंडर ग्राउंड है। जो काफी समय से चोक पड़ा है। ये ही वजह है कि मंडी में हर बरसात व्यापारी और किसानों के लिए मुसीबत लेकर आती है। इस बार ये संकट इस लिए गहरा है क्योंकि इस बार मंडी के ही नाले पहले से चोक है। ऐसे में ये तय है कि इस बार मंडी में जलभराव होगा। मजेदार बात ये है कि इस सबसे अधिकारी वाकिफ है लेकिन किसी ने भी समस्या के निदान के लिए अभी तक कोई पहल नहीं की है।
5 साल में 10 करोड़ की लग चुकी है चपत
मंडी में जलभराव की समस्या के चलते बीते पांच सालों में व्यापारी और किसानों को 10 करोड़ का नुकसान हो चुका है। बीते साल ही कई गोदामों और दुकानों में पानी घुस जाने से वहां रखा अनाज, दाल, सरसों, चना, और गेहूं सड़ गया था। व्यापारी अपनी पीड़ा को लेकर अधिकारी और नेताओं के पास गए लेकिन किसी ने नहीं सुनीं।
नकारा अफसर, निष्क्रिय संगठन का दुष्परिणाम भुगतेंगे व्यापारी
मंडी जलभराव का स्थाई समाधान नाले की सफाई है। बीएसए काॅलेज नाले से मिलने से पहले वाले हिस्से में जलप्रवाह ठीक हो तो मंडी में जलभराव की समस्या एक हद तक ठीक हो सकती है। इस बार सुनहरा अवसर था, हाइवे पर फ्लाईओवर का काम चल रहा है, ऐसे में अधिकारियों के जरा से प्रयास से ही अंडर ग्राउंड नाले की सफाई हो सकती थी। हालांकि ये प्रयास अगर अब भी किए जाएं तो एक हद तक समस्या का समाधान हो सकता है। लेकिन एक तरफ नकारा अधिकारी है तो दूसरी ओर निष्क्रिय संगठन है, इस बीच जन प्रतिनिधि भी पूरी तरह से बेखबर है।