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जवाहर बाग कांड का सगा भाई है कानपुर कांड
विकास दुबे व रामवृक्ष यादव (दोनों फाइल फोटो)।
विजय कुमार गुप्ता
मथुरा। देखा जाय तो कानपुर कांड का हीरो विकास दुबे और जवाहर बाग कांड का हीरो रामवृक्ष यादव एक ही तर्ज पर पले बढ़े और फिर उसी प्रकार ठिकाने भी लगे। इनके पालन पोषनहार और संरक्षण दाता भी यही राजनीतिज्ञ है जो गिरफ्तारी से लेकर एनकाउंटर तक पर तरह-तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं।
इन छाती पिट्टन करने वालों में जो व्यक्ति सबसे ज्यादा आगे हैं, उसी के परिवार की देन यह दोनों कांड हैं और इसी परिवार की सबसे ज्यादा भूमिका रही है। जवाहर बाग कांड में यदि दो पुलिस अधिकारी न मरे होते और कानपुर कान्ड में आठ पुलिस अधिकारी और सिपाही न मरे होते तो शायद इन दोनों मामलों में कुछ भी न होता। जवाहर बाग कान्ड के दौरान तो यह परिवार सत्ता में था तथा जवाहर बाग कब्जाने के बाद तो सीधी-सीधी तैयारी बाबा जयगुरुदेव के आश्रम को हड़पने की थी। इस बात को सभी जानते हैं। केवल एक ही पार्टी या एक ही परिवार को पूरा दोष नहीं दिया जा सकता। इसमें कमती बढ़ती और भी पार्टियां तथा उनके नेता भी शामिल है।
न सिर्फ विकास दुबे और उसके परिवारी जन या अन्य गुर्गे ही इसके लिए दोषी नहीं है बल्कि ये राजनेता उससे भी ज्यादा दोषी हैं जो इन जघन्य अपराधियों को पनाह देने वाले हैं। इनका एनकाउंन्टर कौन करेगा? किसी की मजाल नहीं जो एनकाउंन्टर करने की बात तो दूर, इनके ऊपर मुकदमा कायम कर गिरफ्तार करने की बात भी कर जाएं। बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा? इन से भी ज्यादा दोषी हम मतदाता हैं, जो भाई भतीजा और जातिवाद के नाम पर इन्हें वोट देते हैं।
यह जानते हुए भी कि यह लोग देश विरोधी गद्दारों से हमेशा हाथ मिलाए रहते हैं। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि जो पुलिस वाले विकास दुबे का सहयोग कर रहे थे, वह भी इन्हीं राजनेताओं के इशारों पर चल रहे थे। इन सभी राजनेताओं को विकास दुबे से बहुत मोटी रकम जो मिलती रहती थी।