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राम झरोखा बैठ कै सबकौ मुजरा लेय
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आर के ग्रुप के चेयरमैन डॉ.रामकिशोर अग्रवाल
विजय कुमार गुप्ता
मथुरा- यह कहावत हम बचपन से सुनते चले आ रहे हैं कि राम झरोखा बैठ कै सबकौ मुजरा लेय जैसी जाकी चाकरी वैसौ बाकू देय। इस कहावत को भगवान श्री राम के लिए बनाया गया है कि वे ऊपर बैठे बैठे ही झरोखे से सब कुछ देखते रहते हैं और जैसा जिसका कर्म होता है वैसा ही फल उसे देते रहते हैं।
यही कहावत नीचे बैठे एक और दूसरे राम के ऊपर सटीक बैठती है वो हैं आर के ग्रुप के चेयरमैन डॉ.रामकिशोर अग्रवाल जिन्हें मथुरा में उच्च शिक्षा का जनक माना जाता है। रामकिशोर जी लंबे समय से अपने सभी शिक्षण संस्थानों का जायजा सी.सी.टी.वी. कैमरों के द्वारा लेते रहे हैं। ऐसा कोई भी शिक्षण संस्थान नहीं होगा जिसके हर स्थान पर उनकी पैनी नजर न हो। हर कर्मचारी और अधिकारी शिक्षक शिक्षिकाएं व छात्र-छात्राएं उनकी नजर के दायरे में बने रहते आए हैं। वे सभी की गतिविधियों पर तो अपनी पैनीं नजर रखते हैं किंतु अपनीं गतिविधियों की किसी को हवा भी नहीं लगने देते।
अब रामकिशोर जी ने एक और काम लॉकडाउन के बाद से शुरू कर दिया है। वह यह कि वृंदावन स्थित अपने आवास पर बैठे-बैठे के.डी. मेडिकल में भर्ती प्रत्येक मरीज से रोजाना ऑनलाइन संवाद करते हैं तथा उनके दुख सुख और सभी परेशानियों को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकालते नहीं है बल्कि उनकी समस्याओं का निस्तारण भी करते हैं। यह कार्य प्रतिदिन सायंकाल शुरू होकर रात्रि तक कई घंटे चलता है। यह संवाद कोरोना मरीजों से विशेष रूप से होता है। राम किशोर जी की यह बात तारीफे काबिल है।
शाम को छ: सात बजे के समय या उसके बाद मैं जब भी फोन करता हूं तो वे अक्सर यह कहते रहते हैं कि गुप्ता जी मैं इस समय पेशैंन्टों से बात कर रहा हूं। उनका वाक्य सुनकर फिर मैं भी अपना सा मुंह लेकर रह जाता हूं तथा फोन काट देता हूं । इसके अलाबा मेरे पास और कोई चारा भी तो नहीं है।
राम किशोर जी ने सबसे पहले बी.एस.ए. इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की। यह कॉलेज मथुरा का सबसे पहला इंजीनियरिंग कॉलेज है। इससे पूर्व मथुरा के छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए मथुरा से बाहर जाते थे। बी.एस.ए. इंजीनियरिंग के बाद तो फिर उन्होंने एक के बाद एक कॉलेजों की लाइन नोएडा तक लगा दी।
डला भर कॉलेजों को जनने के पश्चात राम किशोर जी ने कॉलेजों की डिलीवरी का कार्य काफी दिन से बंद कर रखा है। अब तो वे के.डी.मेडिकल को विश्वविद्यालय का दर्जा दिलवा कर चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। उनका ज्यादातर समय अपने बनाए सभी कॉलेजों की नजर दारी करने तथा के.डी. मेडिकल में भर्ती मरीजों की खैर खबर रखने में ही व्यतीत हो जाता है वे सप्ताह में केवल एक दिन के.डी. मेडिकल हस्ताक्षर करने जाते हैं बाकी समय अपने वृंदावन आवास पर बिताते हैं। जिस तन्मयता से वे अपने मरीजों का ख्याल रख रहे हैं भगवान राम भी उसी तन्मयता से उनका भी ख्याल रखेंगे ऐसी कामना करता हूं।