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छज्जू लाए.. खाट के पाए, मार-मार लट्ठन.. झूर कर आए..जैसे नारों के साथ मथुरा में हुआ कंस वध
मथुरा में कंस वध
मथुरा। कृष्ण नगरी मथुरा में बुधवार देरशाम कंस वध मेले का आयोजन किया गया इस मेले में चतुर्वेदी समाज के लोग हाथी पर सवार हुए कृष्ण-बलराम के स्वरुप के साथ लाठियों से कंस के लगभग 50 फिट ऊँचे विशालकाय पुतले का वध किया, बाद में चतुर्वेदी समाज की महिलाऐं फूल बरसाकर विजयीभव में सभी का स्वागत किया। हाथों में लाठियाँ लेकर ’छज्जू लाये खाट के पाये मार-मार लट्ठन झूर कर आये’ गाते चतुर्वेदी समाज के लोग कंस का वध करने के बाद अपनी ख़ुशी का इजहार करते नजर आए।
श्री माथुर चतुर्वेद परिषद की ओर से आयोजति होने वाले कंस वध मेले के सहभागी बनने के लिए देश और विदेश से चतुर्वेदी समाज के सैकड़ों लोग मथुरा पहुंचे। छज्जू लाए.. खाट के पाए, मार-मार लट्ठन.. झूर कर आए..जैसे नारों के साथ मथुरा में चतुर्वेदी समाज ने कंस के पुतले को लाठियों से मारा।बुधवार शाम कंस के पुतले को कंस टीले पर ले जाया गया। इसी बीच ठाकुर जी की सवारी गाड़ी में बैठकर कंस टीले के पीछे अंतापाड़ा पहुंची। ठाकुर जी के इशारे पर चतुर्वेदी समाज के लोगों ने कंस को लाठियों से झूरना शुरु कर दिया। चतुर्वेदी समाज के लोगों ने कंसा मार मधुपुरी आए, कंसा के घर के घबराए आदि गीत गाते हुए कंस टीले पर आनंद लिया। मेले को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग होलीगेट से लेकर छत्ता बाजार में जमे रहे। आयोजकों ने बताया कि कंस वध मेले में प्रशासन द्वारा सहयोग किया गया है।
श्री माथुर चतुर्वेद परिषद के मुख्य संरक्षक अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पाठक ने बताया कि असत्य पर सत्य की विजय, अत्याचार और अनाचार पर सदाचार की विजय का प्रतीक बना कंस मेला हजारों वर्ष बाद भी अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। मेले में देश-विदेश में रहने वाले चतुर्वेद समाज के लोग भाग लेने के लिए आते हैं, जिससे यह मेला चतुर्वेद समाज का समागम बना हुआ है। परिषद के महामंत्री राकेश तिवारी एडवोकेट ने बताया कि माथुर चतुर्वेद परिषद ने सभी व्यवस्थाओं को बखूबी संभाला।