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बरसाने में शुरू हुई लट्ठमार होली, हुरियारिनें लाठियों को तेल पिला पूरी तरह हुईं तैयार
मथुरा। मथुरा के नंदगांव और बरसाना में विश्व प्रसिद्ध लठामार होली की तैयारियां जोरों पर हैं। हुरियारे प्रेमपगी लाठियों से बचने को ढाल और पाग को संभाल रहे हैं तो हुरियारिनें अपनी लाठियों को तेल पिला रही हैं। होली के रसिया, दोहों और पदों को गाकर हुरियारे अनेक तरह से लठामार होली के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। कोई ढालों को सजा रहा है तो कोई नई धोती बगलबंदी तैयार करा रहा है। युवाओं के साथ बुजुर्ग और बच्चों में भी लठामार होली को लेकर उत्साह है।
गौरतलब है कि ब्रज की संस्कृति राधा-कृष्ण की प्रेम लीलाओं की अनुभूति कराती है। यहां वर्ष भर राधा रानी और श्रीकृष्ण की लीलाओं का अनुकरण किसी किसी रूप में त्योहार मनाकर किया जाता है। फाल्गुन का महीना ब्रज के लिए खास है। इस महीने में ब्रजमंडल के सभी प्रमुख धार्मिक स्थान मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, गोवर्धन, गोकुल, बलदेव, रावल आदि अभी स्थान होली की मस्ती में सराबोर हो जाते हैं। यहां के सभी मंदिरों में होली के पर्दों का गायन होता है और अबीर-गुलाल बरसता है। जिससे यहां आने वाले पर्यटक / श्रद्धालु आस्था के उल्लास में झूम उठते हैं। ब्रज में होली के आयोजनों की शुरुआत बरसाना की होली से होती है। बरसाना की होली को लठामार होली कहा जाता है। लठामार इसलिए क्योंकि इस होली में लठ बरसते हैं जो एक बार बरसाना की होली देख लेता है वह हर बार यहां होली खेलने आने लगता है।
राधाकृष्ण के अनुराग से रंगी बरसाना की लठामार होली में एक ओर जहां बरसाना की हुरियारिन नन्दगांव के हुरियारों पर अपनी प्रेमपगी लाठियां बरसाने को आतुर हैं। ब्रज में होली की परंपरा कृष्ण कालीन युग से ही चली आ रही है। इस परंपरा का बृजवासी लगातार निर्वहन करते आ रहे हैं। इस बार 28 फरवरी को होने वाली बरसाने की लट्ठमार होली की तैयारियां चरम सीमा पर हैं। बरसाने की होली हुरियारिन अपनी-अपनी तैयारियों में जुटी हुई हैं। एक महीने पहले से ही दूध, मावा, किशमिश और बादाम खाकर हुरियारिनें अपनी सेहत बना रही हैं। साथ ही कहीं लट्ठ कमजोर न पड़ जाए, इसके लिए तेल मालिश भी कर रही हैं। बरसाने की महिलाएं बाजार से नए नए कपड़े, सोलह शृंगार का सामान और गोटे जड़े लहंगे की भी खरीदारी कर रही हैं। महिलाएं नंदगांव के हुरियारों पर लाठी भांजने के लिए पूरी तरह से तैयार नजर आ रही हैं।
लट्ठमार होली खेलते हैं तो मन में नई उमंग और उत्साह मिलता है देखने को : हुरियारिनें
राधा की गोपियां भगवान श्रीकृष्ण के ग्वालों पर लाठियां का प्रहार करने के लिए उतावली दिख रही हैं। होली की तैयारियों में जुटी बरसाने की हुरियारिन राधिका और प्रियंका ने बताया लट्ठमार होली की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है। लट्ठों पर तेल की मालिश की जा रही है। वहीं नए वस्त्र भी खरीद लिए गए हैं। लहंगे ओढ़नी का विशेष महत्व बरसाने की लट्ठमार होली में होता है। नंदगांव से आने वाले होली के हुरियारों पर लाठियां भांजी जाएंगी। हम लोग तैयार हैं।
बसंत पंचमी से बगल बंदी के ऑर्डर मिलते है
नंदगांव बरसाना में टेलर मनोज शर्मा सिर्फ बगल बंदी सिलने का काम करते हैं। मनोज बताते हैं कि उनके पास हर साल बसंत पंचमी से ही बगल बंदी सिलने का ऑर्डर आता है। वह दिन रात मेहनत कर लट्ठमार होली से एक दिन पहले बगल बंदी बनाकर हुरियारों को दे देते हैं। मनोज ने बताया होली पर सबसे ज्यादा पीली और सफेद बगल बंदी की डिमांड होती है। एक बगल बंदी में 3.5 मीटर कपड़ा लगता है। एक बगल बंदी को तैयार करने में 2 से 3 घंटे लगते हैं। इस बार मनोज पर करीब 300 बगल बंदी बनाने का ऑर्डर है।
1 लहंगा फरिया की कीमत है 5 हजार
होली के लिए हुरियारिन खास ड्रेस लंहगा फरिया पहनती हैं। लहंगा फरिया बेचने वाले व्यापारी संजू अग्रवाल ने बताया कि बरसाना में हुरियारिन नए लहंगा फरिया पहनकर ही होली खेलती हैं। उनके यहां कम से कम लहंगा फरिया की कीमत 5 हजार रुपए है। संजू अग्रवाल के पास 31 हुरियारिन के कपड़े तैयार करने का ऑर्डर है। बरसाना स्थित राधा रानी मंदिर के पुजारी किशोरी श्याम गोस्वामी ने बताया कि बगल बंदी पारंपरिक भेष भूषा है। ब्रज में भगवान कृष्ण ने भी जामा और बगल बंदी पहनी थी। इसलिए बगल बंदी पारंपरिक भेष भूषा है। बगल बंदी पहनने में भी आसान है। इसीलिए होली खेलने के लिए नई बगल बंदी बनवाई जाती है।
बरसाना नन्दगांव होली का प्रोग्राम'
- -27 फरवरी सुबह से ही श्रद्धालुओं का आवागमन बरसाना में शुरू हो जाएगा।
- -शाम साढ़े पांच बजे लाडली जी मन्दिर पर लड्डू होली का आयोजन। जिसमें मन्दिर परिसर में बरसाना के गोस्वामीजनों द्वारा समाज गायन व इस दौरान श्रद्धालुओं द्वारा लड्डू लुटाना। यह कार्यक्रम करीब एक घन्टे तक चलता है।
- -रात्रि में बरसाना कस्बे की सभी धर्मशालाओं व गेस्टहाउसों में भजन संध्या व सांस्कृतिक कार्यक्रम।
- 28 फरवरी सुबह करीब आठ बजे डीजे के साथ श्रद्धालुओं की टोली परिक्रमा लगाने के लिए निकलती है।
- -इस दौरान 9 बजे से 12 बजे तक श्रद्धालुओं का हुजूम मन्दिर परिसर में उमड़ता है।
- -2 बजे नन्दगांव के हुरियारे प्रियाकुण्ड पहुंचे हैं। जहां भांग ठंडाई लेने के बाद अपनी पगड़ी व ढाल को सही करते हैं, जिसके बाद नई सीढ़ियों से हुरियारे लाडली जी मन्दिर पहुँचते हैं।
- - इस दौरान मन्दिर परिसर में नन्दगांव व बरसाना के गोस्वामी समाज द्वारा संयुक्त रुप से समाज गायन होता है।
- समाज गायन के दौरान नन्दगांव वालों पर जमकर रंग व गुलाल बरसता है।
- - करीब पांच बजे नन्दगांव के हुरियारे रंगीली गली में उतर आते हैं। जहां बरसाने के हुरियारिनों के साथ हंसी ठिठोली करते हुए उनके साथ नृत्य करते हैं।
- - करीब साढ़े पांच बजे रंगीली गली, रंगीली गली चौक, बाग मुहल्ला तिराहा, सुदामा चौक, फूल गली, कुंज गली, कटारा पार्क, होली टीला, मेन बाजार, भूमिया गली, डॉ सुभाष तौमर तिराहा तक लठामार होली का मंचन होता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु गलियों में खड़े होकर तथा मकानों की छत पर खड़े होकर होली का आनन्द उठाते हैं।
- - लठामार होली सूर्यस्त तक चलती है। जिसके बाद नन्दगांव के हुरियारे पीली कोठी धर्मशाला पर दूध पीते है तो हुरियारिनें लाडली जी मन्दिर दर्शन करने चली जाती है।