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राजीव एकेडमी में ई-कचरे पर विचार गोष्ठी में हुआ मंथन
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मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टैक्नोलौजी एंड मैनेजमेंट में आयोजित विचार गोष्ठी में भारत में इलैक्ट्रोनिक वेस्ट (कचरे) से बढ़ रहे पर्यावरण खतरे से सावधान करने के लिए विचार व्यक्त किये। विचार गोष्ठी में बीबीए और बीईकॉम के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में जूना टैक्नोलॉजी की निदेशक श्रीमती स्वाती गांगुली ने ई-कचरे के नुकसान से अवगत कराया।
ई-कचरे के खतरों के प्रति जन-जागृति विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में ई-कचरा पर्यावरण को अपनी गिरफ्त में ले लेगा। जिससे वातावरण में जहरीली गैसें घुल कर पूरी आबादी के श्वांस सम्बन्धी रोगों में बढ़ोत्तरी करेंगी। उन्होंने ई-कचरे से सावधान करते हुए कहा कि पूरे देश के पर्यावरण के साथ-साथ ई-कचरे से जनसाधारण की सेहत खराब हो रही है।
उन्होंने कहा कि टीवी, मोबाइल, कैमरे, लैपटॉप, वाशिंग मशीन, एयर कंडीशनर और कम्प्यूटर आदि का सबसे अधिक कचरा निकलता है। जो पर्यावरण के लिए खतरा बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में ई-कचरा को डम्प करके इसके निस्तारण करने के प्रति जन साधारण में जाग्रति कम है, जबकि विदेशों में ई-कचरे के डिस्पोजल के लिए वैज्ञानिक व्यवस्थाएं हैं।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक सर्वे का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में भारत में भी इस कचरे की कुल मात्रा 1.47 लाख मीट्रिक टन थी। जो अब बढक़र पांच गुनी हो गयी है। इस अवसर पर निदेशक डॉ. अमर कुमार सक्सैना ने कहा कि हमने आईटी के क्षेत्र में जो प्रगति की है वह बिल्कुल सही दिशा है लेकिन उसके (बेस्ट) कचरे से मानवता प्रभावित न हो, इसके विषय में भी सोचना जरूरी है।
आरके एजूकेशन हब के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, वाइस चेयरमैन पंकज अग्रवाल और एमडी मनोज अग्रवाल ने कहा कि राजीव एकेडमी फॉर टैक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट में छात्र-छात्राओं में ई-वेस्ट के प्रति जागरुकता उतनी ही जरुरी है जितनी कि आम जन मानस में। वे खुद जागरुक होकर दूसरों को भी जागरुक कर सकेंगे।
इस अवसर पर अनन्या उपाध्याय, अंजली शर्मा, द्रुतिका सक्सैना, जान्हवी गर्ग, खुशबू सिंघल, मुस्कान चौधरी, नेहा कुमारी, शिवानी पाण्डेय, श्रेया गोस्वामी, दिव्यांशी चौहान, अंकुर अग्रवाल, अंशुल गुप्ता, चिन्मय अग्रवाल, रितिक भार्गव, कार्तिकेय सिंह, निर्मेश शर्मा, मोहित कुमार दीक्षित, विशाल उपाध्याय, कुणाल गौतम, मोहित चन्दानी, श्याम सुन्दर आदि ने सारगर्भित विचार व्यक्त किये।