वृंदावन में 31वें दिन भी कॉरिडोर के खिलाफ धरना प्रदर्शन जारी

वृंदावन में 31वें दिन भी कॉरिडोर के खिलाफ धरना प्रदर्शन जारी
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व्रजवासियों ने कहा भगवान श्री कृष्ण के बृज को बृज ही रहने दिया जाए

मथुरा। उप्र के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर पर कॉरिडोर बनाया जाना प्रस्तावित है। जिसे लेकर स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी एवं विरोध दिखाई दे रहा है। जिसमे आज प्रस्तावित बाँके बिहारी कॉरिडोर के विरोध में लगातार 31वें दिन भी बृजवासियों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। जिसमे आज जुगल घाट पर आम सभा का आयोजन किया गया,आयोजन में वृंदावन के कई जगहों से आये लोगों के द्वारा कॉरिडोर का विरोध प्रदर्शन किया गया एवं इसमें सभी ब्रजवासियों के द्वारा कहा गया कि कॉरिडोर नहीं बनना चाहिए। एवं भगवान श्री कृष्ण के बृज को बृज ही रहने दिया जाए एवं उसकी प्राचीन परंपरा से खिलवाड़ ना किया जाए एवं सरकार के द्वारा अगर ऐसा किया जाता है तो इसका दुष्परिणाम सभी को भोगना पड़ेगा।



वृंदावन धाम में जुगल घाट पर चल रही इस सभा को संबोधित करते हुए सुधीर शुक्ला ने बताया की भगवान श्री कृष्ण ने भी वृंदावन में हमेशा प्रकृति को सम्भालने का कार्य किया और राजनीति करने की लिए उन्होंने हस्तिनापुर और विकास के लिए द्वारका को चुना। व्यापार मंडल के अध्यक्ष आलोक बंसल ने बताया की सरकारी महकमों में सुधार की ज़रूरत है,वहीं आम जनता को भी छोटे छोटे कामों के लिए परेशान होना पड़ता है। धूप एवं बारिश से बचने एवं पीने के पानी की कोई भी उचित व्यवस्था तक नहीं है। और सरकार की निगाह बृज के मंदिरों पर है जो किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एवं उन्होंने आसवाशन दिया की ज़रूरत पड़ी तो वृंदावन का पूरा व्यापारी वर्ग इस आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होगा , जिसके बाद आंदोलन में शामिल मधुमंगल शुक्ला ने बताया की सरकारे लगातार वृंदावन का विनाश करने पर तुली हुई है , एवं अरबों रुपयों का घोटाला अकेले यमुना के शुद्धिकरण पर हो चुका है पर आज तक यमुना साफ़ नहीं हुई है। मातृ शक्ति से श्रीमती रूपा लवानिया जी ने कहा की सरकार के इस निर्णय के ख़िलाफ़ हम जनआंदोलन कें साथ है और जब जब इस आंदोलन को हमारी ज़रूरत पड़ेगी हम सब तैयार रहेंगे। कार्यक्रम में शामिल श्रीहित चंदन गोस्वामी जी ने बताया की हम सभी लोगो को एक होकर इस मुसीबत का सामना करना पड़ेगा।

ये लोग रहे उपस्थित

कॉरिडोर का विरोध करने वालों में मुख्य रूप से उमेश दीक्षित जी, अनंत किशोर पाठक, विलास चंद्र गोस्वामी, निर्मल जी, सुधीर शुक्ला जी, पिंकू गौतम, समीर शुक्ला जी, अमित गौतम, प्रमोद बिहारी शास्त्री, श्रीहित चंचल गोस्वामी, कवि मोहन "मोही", नीरज गौतम, नवल किशोर गोस्वामी, अमर बिहारी पाठक, दिनेश अग्रवाल, आशीष गोस्वामी, गोविंद खंडेलवाल, अशोक शर्मा, कविता सिंह, श्रीमती रूपा लवानिया, कवि अशोक अज्ञ जी, प्रह्लाद दास, विजय अग्रवाल, श्यामा किशोरी शरण आदि उपस्थित थे। सभा का संचालन दीपक पाराशर ने किया।



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