- Home
- /
- देश
- /
- उत्तरप्रदेश
- /
- अन्य
ज्ञानवापी मस्जिद केस में कल फिर होगी सुनवाई, ASI ने हाईकोर्ट को बताया- सर्वे में स्ट्रक्चर को नहीं होगा कोई नुकसान
प्रयागराज।इलाहाबाद हाई कोर्ट में बुधवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने अपना हलफनामा दाखिल कर कहा कि हम 31 जुलाई तक ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कर सकते हैं। हाई कोर्ट के आदेश से कोर्ट में उपस्थित एएसआई के वैज्ञानिक अधिकारी ने कहा कि उनकी जांच से ज्ञानवापी परिसर के स्ट्रक्चर में कोई नुकसान नहीं होगा। कोर्ट के नुकसान को लेकर बार-बार पूछे जाने पर एएसआई अधिकारी ने कहा कि वाराणसी कोर्ट के आदेश के अनुपालन में उनकी टीम द्वारा राडार और जीपीआर तकनीक से ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया जाएगा। कोर्ट को यह भी बताया गया कि इस कार्य को सम्पन्न करने के लिए आईआईटी कानपुर की टीम को भी शामिल किया जाएगा। इससे वर्तमान ढांचे को कोई क्षति नहीं होगी। सर्वे पर लगी रोक को हाई कोर्ट ने गुरुवार तक के लिए बढ़ा दिया।
एएसआई अधिकारी के हलफनामे पर मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया कि अदालत उन्हें इस हलफनामे को समझने तथा इसका उनकी तरफ से वैज्ञानिक परीक्षण कराने के लिए दो दिन की मोहलत दे। कोर्ट ने दो दिन की मोहलत देने के बजाय उन्हें इस मुद्दे पर बताने के लिए कल गुरुवार तक का समय दिया है। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर गुरुवार को 3ः30 बजे से इस केस की सुनवाई करेंगे।
इस केस की बुधवार को सुबह 9ः30 बजे सुनवाई शुरू हुई। मस्जिद इंतेजामिया कमेटी ने कहा कि इससे बिल्डिंग को नुकसान पहुंच सकता है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा यह भी गया कि लक्ष्मी सिंह द्वारा दाखिल वाद में अभी प्लीडिंग्स एक्सचेंज नहीं हुई है। कोर्ट ने अभी कोई विचारणीय मुद्दा वाद में विरचित नहीं किया है। ऐसे में साक्ष्य एकत्र करने के लिए कोर्ट द्वारा यह एएसआई सर्वे कराने का आदेश गलत है।
चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे कराये जाने के मामले में दाखिल अंजुमने इंतजामिया कमेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए एएसआई के वैज्ञानिक को बुधवार शाम 4.30 बजे तलब किया था। कोर्ट एएसआई से यह जानना चाहती थी कि सर्वे के दौरान कोई क्षति तो नहीं होगी। कोर्ट इस मामले में एएसआई से उस मैथेड को जानना चाहती थी जिसके जरिये एएसआई सर्वे करेगी।इसके पहले सुनवाई के दौरान मस्जिद पक्ष की ओर से कहा गया कि सर्वे से संरचना को क्षति हो सकती है। जिला जज को सर्वे कराये जाने का अधिकार नहीं है। यह आदेश गलत है। जवाब में मंदिर पक्ष की ओर से जवाब दिया गया कि सर्वे के बाद ही मंदिर के स्ट्रक्चर का सही पता चल सकता है। एएसआई दो तकनीकों- फोटोग्राफी और इमेजिंग मेथड से सर्वे करेगी। किसी तरह की क्षति नहीं होगी। इस पर कोर्ट ने सर्वे का डेमो जानना चाहा और सर्वे में लगे एएसआई के साइंटिस्ट को 4.30 बजे तलब किया था।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ज्ञानवापी परिसर में सर्वे कराये जाने के मामले में याचिका दाखिल की गई थी। ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे पर रोक लगाने के लिए मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। वहीं, सोमवार को हिंदू पक्ष ने भी इस मामले में कैविएट दाखिल की थी। ज्ञात हो कि जिला जज वाराणसी ने ज्ञानवापी विवादित परिसर का एएसआई सर्वे का आदेश दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करते हुए 26 जुलाई तक सर्वे पर रोक लगा दी है। मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने आर्टिकल 227 के तहत वाराणसी जिला जज के 21 जुलाई के सर्वे के आदेश को चुनौती दी है।मसाजिद इंतजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने ये याचिकाएं दाखिल की हैं। मुस्लिम पक्ष की याचिका से पहले सोमवार को हिंदू पक्ष की वादी राखी सिंह ने हाई कोर्ट में कैविएट दाखिल की थी। अपनी कैविएट में राखी ने हाई कोर्ट से आग्रह किया कि अगर अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी वाराणसी कोर्ट के 21 जुलाई के आदेश यानी ज्ञानवापी परिसर सर्वे के आदेश को चुनौती देने के लिए उनके पास आती है, तो याचिकाकर्ता को सुने बिना अपना फैसला न दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि 26 जुलाई की शाम 5 बजे तक कोई सर्वे न किया जाए। इस दौरान अगर मस्जिद कमेटी चाहे तो वाराणसी कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जा सकती है। सर्वे में दावा किया गया था कि परिसर में शेषनाग की आकृति के अलावा खंडित देव विग्रह, मंदिर का मलबा, हिंदू देवी-देवताओं और कमल की आकृति, शिलापट्ट मिले हैं। यह रिपोर्ट स्टेट ट्रेजरी के लॉकर में सुरक्षित रखी गई है।