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लखीमपुर केस : आशीष मिश्रा जेल में शिफ्ट, सोमवार को पुलिस मांगेंगी रिमांड
लखीमपुर खीरी। जनपद में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा मामले में पुलिस ने शनिवार देर रात आशीष मिश्रा को गिरफ्तार कर सोमवार तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।सहारनपुर के डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल ने कहा कि लंबी पूछताछ के बाद हमने पाया कि आशीष मिश्रा सहयोग नहीं कर रहे हैं। वह विवेचना में कई बातें बताना नहीं चाहते, इसीलिए हम उन्हें गिरफ़्तार किया है। वहीं, इस मामले में आरोपित पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि अगर आशीष को रिमांड पर लिया जाता है, तो पूछताछ के दौरान उनके साथ दो वकील भी रहेंगे। यह उनकी कोर्ट से डिमांड होगी।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को हत्या, दुर्घटना में मौत, आपराधिक साजिश, लापरवाही से वाहन को चलाने की धाराओं में गिरफ्तार किया गया। डीआईजी ने अपनेे बयान में कहा कि आशीष जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे।
दरअसल, शनिवार की सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर आशीष क्राइम ब्रांच के सामने पेश हुए। पुलिस ने उनसे कई सवाल किए, जिसका जवाब देने में आशीष आना-कानी कर रहे थे, जिस कारण पुलिस उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुई। ऐसे में मामलों की पड़ताल तथा सही पहलू जानने के लिए पुलिस ने उसे देर रात गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद आशीष को लेकर सीजेएम के आवास पहुंची, जहां से आशीष को सोमवार तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। इस बारे के आशीष के अधिवक्ता ने बताया कि सोमवार दोपहर एक बजे कोर्ट उनका पक्ष सुनेगी तब तक के लिए आशीष जेल में रहेंगे। आशीष की गिरफ्तारी से पहले पुलिस लाइन में डॉक्टरों की टीम ने आशीष का मेडिकल किया था।
पुलिस को दिए फ़ोटो और वीडियो -
अधिवक्ता ने बताया कि पुलिस के पास कोई भी सबूत नहीं है, इसलिए पुलिस आशीष की रिमांड मांग रही है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने सवाल किया कि हर साल दो तारीख को कार्यक्रम होता रहा है, तो इस बार तीन तारीख को क्यों? इसपर आशीष ने जवाब दिया कि मुख्य अतिथि का समय न होने के कारण इस वर्ष कार्यक्रम तीन तारीख को रखा गया। अनुमति के सवाल पर आशीष ने कहा कि वो 40 सालों से कुस्ती कर रहे हैं। कभी उन्होंने परमिशन नहीं ली तो इस बार भी जरूरत नहीं पड़ी।
अधिवक्ता ने बताया कि पूछताछ के दौरान वो वहां पर मौजूद थे। इन सारे सवालों का जवाब दिया। पुलिस ने जब पूछा कि गाड़ी में कितने लोग थे तो आशीष ने कहा कि जब मैं वहां पर था नहीं तो कैसे बता सकता हूं कि कितने लोग थे। अधिवक्ता ने बताया कि आशीष दंगल में थे, इसे साबित करने के लिए 150 से अधिक फ़ोटो और कई वीडियो पुलिस को दिए गए हैं। अधिवक्ता ने कहा कि जब गाड़ी जल चुकी है तो कारतूस जिंदा कैसे मिलेगा। दरअसल आरोप लगाया कि कारतूस डाला गया है। सारे लोगों ने राइफल देख लिया है कि पांच साल से चली नहीं है। पांच कारतूस खरीदे गए जो उनके पास हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस की अगर सारी बात मान ली जाए तो न्यायालय किस बात के लिए बना है।