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फूलों से सजे शिव मंदिर, भक्तों ने निकाली बारात, दिनभर गूंजा ऊं नमः शिवाय
बांदा। औघड़दानी महाशिव के महापर्व के रूप में शिवरात्रि का विवरण पुराणों में मिलता है। उन्हीं को इस सृष्टि का संचालक व संहारक देवता मानते हैं। शिवरात्रि के महापर्व पर लोग बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं और श्रद्धा के साथ पूरे दिन भगवान शिव की आराधना करते हैं।
शहर के बामदेवेश्वर मंदिर सहित कई अन्य शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं का सुबह से तांता रहा। मंदिरों को आकर्षक फूलों से सजाया गया। यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने शिवलिंग को जलाभिषेक के साथ विधि-विधान से पूजन किया। क्षेत्र में भी महाशिवरात्रि पर धूम रही। इसी तरह अतर्रा चुंगी तिराहे में भी श्रद्धालुओं ने पूजन कर प्रसाद वितरित किया। ग्राम पंचायत गिरवा में विराजमान भूतेश्वर मंदिर से शिवजी की बारात ग्रामवासियों के सहयोग से महाशिवरात्रि के दिन निकाली गई।
गांव में निकली शंकर जी की बारात में बच्चे आकर्षक वेशभूषा में थे जिसे देखकर ग्रामीण ठहाके लगाते रहे। गिरवां बांदा महाशिवरात्रि के पावन पर्व मैं कस्बे के पर्वत पर विराजमान श्री भूतेश्वर महादेव मैं हजारों श्रद्धालुओं ने अभिषेक किया तथा महाशिवरात्रि के पूर्व सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आचार्य आनंद शास्त्री ने सुंदर कथा का वर्णन किया। बबेरू कस्बा में मां मढ़ी दाई मंदिर में सुबह से भक्तों का रेला दर्शन के लिए बेलपत्र, फूल, धतूरा, बेर, गेंहू की वाली लेकर शिव की मूर्ति पर जलाभिषेक किया। यहां स्थापित पंचमुखी शिवलिंग प्राचीन शिवलिंग में से एक
बताया जा रहा है की नेपाल देश के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर से इस शिवलिंग की समानता है। दोनों मूर्तियां समकालीन कही जा रही है। कस्बे के अधिकांश व्यापारी प्रतिदिन दर्शन करने के बाद ही अपने प्रतिष्ठान खोलते हैं। बुजुर्गों की माने तो दिन में यह मूर्ति दिन में कई बार अपने स्वरूप भी बदलती है।