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भागवत भगवान का अक्षरावतार : आचार्य ज्ञानेंद्र मिश्र
बांदा। शहर के मढ़ियानाका महामाई मंदिर के पास हो रही श्रीमदभागवत कथा में श्रीधाम वृंदावन से आए आचार्य ज्ञानेंद्र मिश्र ने द्वितीय दिवस की कथा में भागवत महात्मय का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि भागवत ही भगवान है। भागवत भगवान का अक्षरावतार है। द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में पांडवों के वंशवली का सुन्दर वर्णन किया।
व्यास ने अपने व्याख्यान में बताया कि जैसा खाओगे अन्न, वैसा ही होगा मन। कथा को आगे बढ़ाते हुए युधिष्ठिर द्वारा प्रश्न प्रसंग का भी सुंदर वर्णन किया। हमेशा मधुर मीठा बोलो, वाणी के सुर सुधार लो, जिस तरह कौवा दिन भर कांय कांय करता है लेकिन कोई नहीं सुनता लेकिन जब कोयल बोलती है तो सब ध्यान से सुनते हैं। इसलिए कोयल बनो कौवा नहीं। जीव का कल्याण
भगवत भजन से होगा क्योंकि जीव का जन्म प्रभु की भक्ति के लिए हुआ है। प्रभु का भजन जो जीव नहीं करता है पशु के समान होता है। अगर कल्याण चाहते हैं तो जन्म मरण के चक्कर से बचना चाहते हैं तो हरी भजों, भगवान का भजन का भजन ही सार है बांकी सब बेकार है। कथा के मुख्य यजमान भूरी देवी, कल्लू प्रसाद गुप्ता एवं रानी देवी है। साथ ही व्यवस्था मनीराम गुप्ता व उनके परिवार द्वारा की गई।