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पंचायत चुनाव: मोबाइल बंद कर प्रत्याशी उतार रहे थकान, कर रहे परिणाम का इंतजार
मेरठ: त्रिस्तरीय पंचायत को लेकर महीने भर से खेली जा रही चुनावी बिसात अब हार- जीत पर आकर अटक गई है। वोटरों ने अपना काम किया और प्रत्याशियों ने अपना। अब 2 मई को ही पता चलेगा कि गांव की सरकार के लिए किस प्रत्याशी पर वोटरों ने भरोसा किया और उसे जिताया। मेरठ में 26 अप्रैल को पंचायत चुनाव को वोट डाले गए।
जिले में सकुशल चुनाव संपन्न होने के बाद अब हार-जीत को लेकर गुणा- गणित लगाई जा रही है। प्रधान पद पर जहां एक- एक वोट के लिए मारा मारी रही। वहीं जिला पंचायत सदस्य के लिए अपने-अपने ग्राम पंचायतों में प्रत्याशियों को एक तरफा समर्थन मिलने की बात कह रहे हैं। इससे जिला पंचायत सदस्य पद पर ऊंट किस करवट बैठेगा, यह अभी कह पाना मुश्किल है।
प्रधान व बीडीसी के पदों पर तो गांव में कांटे की लड़ाई रही लेकिन जिला पंचायत सदस्य के पदों पर देखा जाए तो जिस ग्राम पंचायत का रहा। वहां आस-पास के गांव में सभी प्रधान व बीडीसी के प्रत्याशी मिल कर गांव के जिला पंचायत सदस्य के उम्मीदवार को वोट दिलाए हैं। ऐसे में जिला पंचायत सदस्य पद की लडाई रोमांचक हो गई है।
फिलहाल मतदान होने के बाद अब गांव में चबूतरों पर चुनाव के हार जीत का गुणा गणित लगाया जा रहा है। पडे़ मतों में जातिवार आंकड़ा निकाल कर महिला व पुरुष मतदाताओं को अलग करके अपने पक्ष में समीकरण बता रहे हैं। 26 अप्रैल को वोट डलने के बाद से सभी प्रत्याशियों व उनके समर्थक अपना टेंपो हाई बता रहे हैं। अब देखना यह है कि दो मई को बैलेट बाक्स से किस प्रत्याशी का टेंपो हाई रहता है। या फिर कौन मतगणना स्थल के छोटे गेट से चुपके से बाहर निकल कर घर चला जाता है।
चुनावी खुमारी मिटाने के बाद लगाए जा रहे समीकरण:
चुनावी खुमारी मिटाने के बाद प्रत्याशी और उनके समर्थक हार जीत के गुणा गणित लगा रहे हैं। वहीं मतदाता मौन हो कर अपने-अपने खेती और गृहस्थी के कामों में व्यस्त हो गया है।
2 मई की तैयारी के लिए मोबाइल बंद कर उतार रहे थकान:
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी हमेशा की तरह सबसे अधिक मारामारी ग्राम प्रधान पद के लिए रही। प्रधान की कुर्सी पर कब्जा करने के लिए प्रत्याशियों ने अपनी अपनी हैसियत के अनुसार प्रयास किया। सोमवार को देर शाम तक चुनाव संपन्न हुआ। उसके बाद अधिकांश प्रत्याशी मोबाइल बंद करके 2 मई की तैयारी के लिए थकान मिटाने के लिए सो गए। इसके बाद मंगलवार को दोपहर बाद से जीत हार की कल्पना में मशगूल है।
प्रत्याशियों को इस बात से डर है कि कहीं उनका मतदाता अंतिम समय में खिसक तो नहीं गया है। प्रत्याशियों की मानें तो मतदाता इतना सजग है कि अंतिम समय तक अपना पत्ता नहीं खोला है।
इससे यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है कि किसने किसको मतदान किया। कुछ समर्थकों का ही अंदाजा लगाया जा सकता है। गांव के एक-एक परिवार के मतों की गणना की जा रही है। इसी के साथ खटास भी बढ़ रही है। चुनाव के बाद कुछ गांवों में कलह की भी संभावना है।