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मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी वाक्य करता है राष्ट्र भाव को पैदा : मुख्यमंत्री
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा कि राष्ट्र रक्षा को मूल धर्म मानकर पालन करें तो वर्तमान के साथ भविष्य को भी बेहतर किया जा सकता है। 1857 में महारानी ने अंग्रेजों की चूल्हें हिलाने का कार्य किया था। रानी के नेतृत्व में चलाए गए अभियान को यहां के कथानकों में ओजपूर्ण तरीके से दर्शाया गया है। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। उनका वाक्य 'मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी राष्ट्र भाव को पैदा करता है।
इसके पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व में रक्षामंत्री के शामिल होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। कहा कि देश के रक्षा मंत्री राजनाथसिंह का मैं राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व में पधारने पर सभी की ओर से धन्यवाद करता हूं। उन्होंने इस कार्यक्रम में पधारने का कष्ट किया उसके लिए उनका धन्यवाद। वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के 193 जन्मोत्सव को सेना और सरकार के समन्वय से राष्ट्र रक्षा समर्पण के रूप में मनाया जा रहा है।
राष्ट्र धर्म ही हमारा मूल धर्म -
मुख्यमंत्री ने कहा कि झांसी की चर्चा वीरभूमि के रूप में है। महारानी लक्ष्मीबाई का यह 193 वां जन्मोत्सव है जिसे आमजन के साथ जोड़कर बेहतरी के साथ मनाया जा रहा है। यह अपने आप में बेहतर प्रयास है। राष्ट्र धर्म ही हमारा मूल धर्म है। इस भाव के साथ यह आयोजन किया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय के इस अतुलनीय प्रयास के लिए आभार ज्ञापित करता हूं।उन्होंने कहा कि तीन दिन तक चलने वाला यह पर्व अपने आप में अभिनव कार्यक्रम होगा। यह कार्यक्रम रक्षा मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। 2019 में प्रधानमंत्री ने बुन्देलखण्ड को जो सौगातें दी थी उनसे बुंदेलखंड लगातार उमंग के साथ विकास के पथ पर बढ़ रहा है। डिफेंस कॉरिडोर उसी की कड़ी है। डिफेंस कॉरिडोर के दो नोड हैं, एक झांसी में दूसरा चित्रकूट में है। भारत डायनामिक्स लिमिटेड की इकाई का भूमि पूजन प्रधानमंत्री के करकमलों से होगा।
महारानी लक्ष्मीबाई से प्रेरणा -
मुख्यमंत्री ने कहा कि बुन्देलखण्ड को कभी सूखा कहा जाता था, आज सिंचाई की बड़ी योजनाएं साकार हो रहीं हैं। जिस गति से 'हर घर जल योजना' चल रही है। 2022 तक हर घर में जल होगा। बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस वे भी तेजी से चल रहा है। यहां के विकास के साथ एक नए बुन्देलखण्ड के स्वप्न के साथ महारानी ने युद्ध किया था। वह भारत की वास्तविक स्वाधीनता को दर्शाता है। महारानी लक्ष्मीबाई की प्रेरणा हमेशा हमें मिलती रहेगी। अपने साढ़े 9 मिनट के भाषण में उन्होंने केवल बुंदेलखंड की उपलब्धि गिनाई। कार्यक्रम के बाद उन्होंने रक्षा मंत्री को विदा करने के बाद प्रधानमंत्री के कार्यक्रम स्थल का बारीकी से निरीक्षण किया। साथ ही अधिकारियों को समय से पूरी तैयारी के निर्देश दिए।