उप्र में गांधी परिवार की रायबरेली और अमेठी सीट पर कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर, सपा का सहारा तलाश रही

उप्र में गांधी परिवार की रायबरेली और अमेठी सीट पर कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर, सपा का सहारा तलाश रही
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गांधी परिवार की इन सीटों पर सपा मजबूत

अमेठी। लाेकसभा चुनाव को करीब आता देख उत्तर प्रदेश की वीआईपी संसदीय सीटों पर सभी की नजरें हैं। इन सीटों में कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए रायबरेली और अमेठी सबसे अहम है। बावजूद इसके सपा ही यहां कांग्रेस की खेवनहार है। रायबरेली को जहां कांग्रेस के लिए आज भी सबसे सुरक्षित सीट मानी जा रही है। हालांकि इसके लिए उसे समाजवादी पार्टी का ही सहारा है। सपा के बिना कांग्रेस के लिए यहां काफ़ी मुश्किल हो सकती है। एक ओपनियन पोल के अनुसार भी रायबरेली सीट पर सोनिया गांधी की सीट पक्की है, लेकिन ऐसा तभी होगा जब कांग्रेस के समर्थन में सपा कोई उम्मीदवार न उतारे। यही हाल अमेठी का भी है जहां बिना सपा के सहारे चुनाव लड़ना उसके लिए मुश्किल भरा हो सकता है।

उल्लेखनीय है कि रायबरेली सीट पर सोनिया गांधी लगातार चुनाव जीतती रही हैं। हालांकि पिछले चुनाव में उनका जीत का अंतर कम हो गया था। 2019 में सोनिया गांधी को एक लाख 67 हजार वोटों के अंतर से जीत मिली थी। जबकि इसके पहले 2004, 2006, 2009 और 2014 में सोनिया हमेशा दो लाख से अधिक वोटों के अंतर से ही जीतती रही हैं। इन जीत के आंकड़ों के बावजूद रायबरेली के विधानसभा चुनावों में सपा का ही बोलबाला रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में रायबरेली की पांच सीटों में से चार सीटों पर सपा ने जीत दर्ज की। जबकि एक सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई। कांग्रेस की रायबरेली जनपद में तो छोड़िये उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में हालत काफी खराब रही और वह केवल दो विधानसभा सीटों में सिमट कर रही गई। इससे स्पष्ट है कि रायबरेली में सपा की मतदाताओं में मजबूत पकड़ है और कांग्रेस इसके मुकाबले कहीं नहीं टिकती है। समाजवादी पार्टी पिछले कई चुनावों से रायबरेली में अपना उम्मीदवार नहीं खड़ी कर रही थी। सपा ने सोनिया गांधी के खिलाफ 2004 में उम्मीदवार को उतारा था। उस समय कांग्रेस के पक्ष में माहौल होने के बावजूद सपा के उम्मीदवार को 1 लाख 28 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। अगर सपा इस बार भी उम्मीदवार उतारती है तो यहां कांग्रेस को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

कमोबेश यही हाल अमेठी का भी है जहां विधानसभा चुनावों में भाजपा और सपा ही मुख्य मुकाबले में रहते हैं। हालांकि 2019 में सपा और बसपा से समर्थन मिलने के बावजूद कांग्रेस अमेठी सीट नहीं बचा पाई थी और राहुल गांधी को हार का सामना करना पड़ा था। जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा और भाजपा के बीच अमेठी में कड़ा मुकाबला देखने को मिला था। सपा ने गौरीगंज और अमेठी सीट पर जीत दर्ज कर ली और भाजपा को तिलोई और जगदीशपुर में सफलता मिली थी। जबकि कांग्रेस के लिए बेहद महत्वपूर्ण इन सीटों पर परिणाम बेहद निराशाजनक रहा।

कांग्रेस और ख़ासकर गांधी परिवार के लिए बेहद अहम अमेठी और रायबरेली कांग्रेस सीट है जो उसके लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। 2019 में राहुल गांधी का अमेठी से चुनाव हारने के मुद्दे को भाजपा आज भी जोरशोर से उठा रही है। ऐसी परिस्थिति में कांग्रेस के लिए इन सीटों पर हर हाल में सपा के समर्थन की दरकार होगी। पूरे देश में कांग्रेस भले ही आईएनडीआईए गठबंधन में नेतृत्व की भूमिका हो, लेकिन उत्तर प्रदेश और खासकर रायबरेली, अमेठी में उसे सपा का परोक्ष नेतृत्व स्वीकार करना ही पड़ेगा। अकेले दम पर कांग्रेस को इन जनपदों में लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ सकता है।

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