श्रीमदभागवत कथा में गिरिराज के महात्म्य का वर्णन

श्रीमदभागवत कथा में गिरिराज के महात्म्य का वर्णन
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बांदा। शहर के मढ़ियानाका महामाई मंदिर के पास हो रही श्रीमदभागवत कथा में श्रीधाम वृंदावन से पधारे आचार्य पंडित ज्ञानेंद्र मिश्र ने पंचम दिवस की कथा में भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया। प्रभु बाल कृष्ण ने ब्रज में जन्म लेकर अपनी बाल लीलाओं के द्वारा अपने भक्तों को सुख प्रदान किया। भगवान ने अपनी बंसी की मधुरता से सभी भक्तों को आनंद की अनुभूति करायी। भगवान श्रीकृष्ण ने माखन की चोरी की।

कथावाचक ने कहा मन ही हमारा माखन है भगवान हमारे मन को चुराते हैं। कथा के क्रम को आगे बढ़ाते हुए गिरिराज जी की पावन कथा का स्मरण कराया। भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा बंद करके गोवर्धन जी की पूजा कराई। गिरिराज जी की पूजा में भगवान ने शिक्षा दी है कि व्यक्ति को अपना कर्म सदैव करते रहना चाहिए। कर्म करने से ही व्यक्ति को फल की प्राप्ति होती है। सभी भक्तों ने गिरिराज महाराज की पूजा की छप्पन भोग के दर्शन किए।

कथा के बीच-बीच में महाराज जी के मुख्य भजन सुनकर सभी भक्त भावविभोर होकर नृत्य करने लगे। श्री गिरिराज महाराज जी के दिव्य झांकी का दर्शन कर सभी भक्तों ने दिव्य आनंद प्राप्त किया। महाराज श्री ने बताया जो मनुष्य गिरिराज जी की पूजा करता है, श्री गिरिराज जी की परिक्रमा लगाता है उसके सभी संकट कट जाते हैं उसको भगवान के चरणों की प्राप्ति होती है ,उसका संसार सागर में उद्धार हो जाता है। कथा के मुख्य यजमान भूरी देवी, कल्लू प्रसाद गुप्ता एवं रानी देवी है साथ ही व्यवस्था मनीराम गुप्ता व उनके परिवार द्वारा की गई।

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