अमलोर खदान में भोर से भोर तक चलता है मनमानी ओवरलोड का खेल

अमलोर खदान में भोर से भोर तक चलता है मनमानी ओवरलोड का खेल
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दिल्ली, लखनउ, बांदा तक पहुंच रखने वाले लोगों का बताया जाता है यहां जमावड़ा

बांदा। जिस केन नदी की नदी के प्रति आस्था रखने वाले अधिकारियों से लेकर संगठन के आस्थावान लोगों द्वारा आरती करके पूजा की जाती है और प्रदूषण से बचाने सहित उसकी रक्षा के लिए प्रेरणा गीत गाए जाते हैं उसी केन में चलने वाली बालू की खदानों के संचालक और उनके सहयोगी जगह-जगह पर केन नदी का स्वरूप बदलने पर अमादा हैं।

खनिज के बनाए गए नियमों की धज्जियां उड़ाकर अपनी-अपनी तिजोरियां भरने के चक्कर में कहीं किनारों की कटान तो कहीं जलधारा काटकर तो कहीं केन के पेट में सो रही बालू की मानक विपरीत खोदाई करके बालू निकालकर खदानों से ही ओवरलोड बालू ट्रकों में लादकर खुल्लमखुला ऐसे सड़कों की ओर रवाना की जाती है मानो ओवरलोड का परमिट इन खदान धारकों को सरकार द्वारा मिल गया है।

ओवरलोड का सबसे बुरा हाल जिले की पैलानी तहसील के अंतर्गत चलने वाली केन की खनिज खदानों में इन दिनों तेजी से जारी है। केन की अमलोर खदान सात का तो यह हाल है कि एक भोर से शुरू होकर रातदिन गुजरने के बाद दूसरे भोर तक लगातार नदी खदान के अंदर लगाए गए कांटा और कैमरे का कोण मोड़कर ओवरलोड का गोरखधंधा जारी है। जिससे जहां नियम-कानून के परखच्चे उड़ गए हैं वहीं राजस्व को भी क्षति पहुंच रही है। शिकायतों के बावजूद भी कार्यवाही के नाम पर कोई कदम न उठाए जाने से यहां के खदान धारक सहित उनके सहयोगी जिन्हें क्षेत्र में दलाल की संज्ञा दी जाती है उनकी मनमानी कट रही है।

बालू के कारोबार में अनियमितता और ओवरलोड को रोकने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए नियम जिले की सड़कों में टूटे-फूटे दिखाई पड़ते हैं सड़कों पर निकलने वाले ओवरलोड बालू लदे वाहनों को देखकर ऐसा लगता है कि खदानधारकों के ओवरलोड का परमिट सा मिल गया है। ओवरलोड तस्वीरें देखकर दर्शक दीर्घा में खड़े लोगों की आवाज होती है कि बीच से तो ओवरलोड आ ही नहीं सकता यह सारा खेल खदानों से ही शुरू होता है। अमलोर सात की खदान में भी ओवरलोड का खेल खदान के अंदर से शुरू करने का आरोप प्रकाश में आया है।

अमलोर के ग्रामीणों ने खदान द्वारा की जाने वाली मनमानी और दबंगई की शिकायत भी जिला प्रशासन की डयोढ़ी पर आकर की लेकिन उनकी दबंगई के सामने ओवरलोड लगातार जारी है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि नदी से लेकर सड़क तक चलने वाले ओवरलोड वाहनों के कारण देहात के लोगों का रास्ते से निकलना दूभर हो रहा है। पक्की सड़कों पर जब यही बालू भरे ओवरलोड वाहन निकलते हैं तो उनकी दौड़ के सामने आम आदमी का निकलना मुश्किल हो जाता है। गौरतलब और गंभीर पहलू यह है कि यह ओवरलोड वाहन गांव के अलावा पैलानी कस्बे सहित तहसील और एसडीएम कार्यालय के सामने से सरपट दौड़ के साथ भोंपू बजाते निकलते हैं इस तेज आवाज के सामने भी थाने में बैठे हुए पुलिस अधिकारियों सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के कान में तेल जैसा पड़ जाता है और उनकी आंखे ऐसे हो जाती हैं जैसे उन्हें न दिखाई पड़ता न सुनाई पड़ता।

अमलोर खदान का आलम मनमानी पर रोक न लगने के कारण कुछ ऐसा भी हो गया है कि यहां नदी के किनारे काटकरके सीमांकन को धता बताते हुए बालू निकाली जा रही है। गांव के लोग देखकरके असमंजस में पड़ यह कहने को मजबूर होते हैं कि कटान के कारण नदी की चौड़ाई और मानक से ज्यादा गहरी खोदाई कर बालू निकालने के कारण नदी की गहराई बढ़ती जा रही है। जलधारा के अंदर से भी बालू निकालने में यहां पर परहेज नहीं किया जा रहा। तमाम अमलोर खदान सात में होने वाली मनमानी को लेकर जब क्षेत्रीय लोगों ने पड़ताल की तो उन्हें कुछ ऐसा बताया जाता है कि यहां पर दिल्ली, लखनउ तक की पहुंच वाले लोग रहते हैं। प्रभावशाली लोगों की श्रेणी में बांदा के लोग भी खदान में अपना प्रभाव दिखाकर अपना धंधा चलाते रहते हैं।

क्षेत्रीय लोग जब कभी नदी पहुंचते हैं तो जलधारा से काटकर निकाली जाने वाली बालू को कारोबार में जल के अंदर रहने वाले जीव-जंतुओं की हालत देखकर तरस खा जाते हैं लेकिन खदान चलाकर पैसे कमाने वाले लोगों को तरस नहीं आता। उन्हें पाप-पुण्य से भी कोई मतलब नहीं है मतलब है तो केवल पैसा प्रेम से। क्षेत्रीय लोगों ने उच्चाधिकारियों का ध्यानाकृष्ट कराते हुए घाट में की जाने वाली मनमानी के लिए प्रशासनिक कार्यवाही की अपेक्षा करने के साथ दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की है। इस ओवरलोड प्रकरण को लेकर जब पैलानी एसडीएम से फोन पर बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है। जल्द ही ओवरलोड जैसे मामले को दिखवाकर दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

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