- Home
- /
- देश
- /
- उत्तरप्रदेश
- /
- अन्य
औरैया: मंदिरों पर सरकारी कब्जे के खिलाफ विरोध की चिंगारी बन रही लावा

औरैया (आभा दुबे /आयुष गुप्ता) प्रदेश के दर्जनों जिलों के आस्था के केंद्र पौराणिक ऐतिहासिक देवस्थान के रूप में पूजित श्रद्धालुओं के मन मस्तिष्क में विराजमान जनपद के दो आस्था स्थल देवकली एवं मंगला काली मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण कर लिया जाना लाखों हिंदुओं को बहुत अखरा है। वह भी केवल इसलिए कि एक सपाई नेता को टारगेट करना है।
अभी तक तो यह मसला सिर्फ दबी जुबान था लेकिन अब खुलकर चर्चा में है। विरोध की सुलगती चिंगारी अब लौ बनने लगी है और खिलाफत के मोर्चे खुलने लगे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में यही भी वोट कास्टिंग का एक बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है। श्रद्धालुओं का सवाल यह है योगी जी जो स्वयं एक प्रसिद्ध मठ के महंत हैं उनके राज में ऐसा हुआ है जबकि धर्म विशेष की इबादतगांहों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। इस विरोध में खुद भाजपा के मतदाता समर्थक नेता भी अंदर खाने असंतुष्ट हैं।
भाजपा सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों पर तुष्टीकरण के आरोप लगने लगे हैं। दबी जवान बहुसंख्यक आम जनमानस प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। देवकली मंदिर से एक अरसे से जुड़े एक श्रद्धालु बताते हैं कि सभी नियम कायदे कानून केवल बहुसंख्यक समुदाय के लिए ही बनते हैं। अन्य समुदायों पर यह किसी भी तरह से लागू क्यों नहीं किए जाते हैं। पूर्ववर्ती सरकारें जहां तुष्टीकरण के लिए जाने जाती थी। आम जनमानस को भरोसा था कि भाजपा सरकार आने के बाद तुष्टीकरण पर विराम लग जाएगा। लेकिन निजाम बदलने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों की मनसा बिल्कुल नहीं बदली है जनपद के दो प्रसिद्ध देवस्थान का प्रबंधन प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया है।
अब सवाल यह उठता है कि अगर बहुसंख्यक समुदाय के देव स्थानों का प्रबंधन प्रशासन अपने कब्जे में ले सकता है तो अल्पसंख्यक समुदाय के इबादतगाहों पर अब तक प्रशासन की नजर क्यों नहीं पड़ी है। कोरोना काल मैं जनपद में स्थानांतरित होकर आए जनपद के उच्च अधिकारी ने आते ही मंदिरों को टारगेट बना लिया है। इसका खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में जरूर मिलेगा।
उन्होंने बताया कि जनपद में बहुसंख्यक समुदाय ने भाजपा को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में एक तरफा वोट दिया था ,लेकिन देव स्थानों पर कब्जे होने के बाद स्थितियां बदल गई हैं और पंचायत चुनाव में भाजपा को सबक भी मिला है। जल्द ही सत्ता में बैठे राजनेताओं ने स्थितियों को नहीं संभाला तो विधानसभा चुनाव में बहुसंख्यक समुदाय भाजपा से मुंह मोड़ सकता है।