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नेशनल शूटर किराया चुकाने के लिए पिस्टल बेचने को मजबूर
बरेली। कोरोना काल में नेशनल शूटर से कोच बने देवव्रत की व्यथा सामने आई है। देवव्रत की निजी शूटिंग अकादमी पांच महीने से बंद चल रही है। ऐसे में किराया चुकाने के लिए उन्होंने अपनी पिस्टल बेचने का फैसला किया है।
हम आपको बता दें कि नेशनल शूटर देवव्रत 100 फुटा रोड पर राइजिंग स्टार के नाम से शूटिंग अकादमी चलाते हैं। उनकी अकादमी के खिलाड़ी देश भर में बरेली का नाम रोशन कर चुके हैं। लॉक डाउन से पहले तक स्थिति सामान्य थी। मार्च के अंत से अकादमी में ताले लटक गए। पांच महीने से खिलाड़ियों को प्रैक्टिस कराने का सिलसिला बन्द है। इसके कारण देवव्रत की आय भी बन्द हो गई। अकादमी का किराया 12,500 रुपये महीना है। करीब 1500 रुपये बिजली और अन्य मद के जाते हैं। हालांकि मकान मालिक ने उनका पूरा सहयोग किया लेकिन पांच महीने से किराया नहीं दे पाने के कारण देवव्रत की हिम्मत अब टूटने लगी है। आखिरकार किराया चुकाने के लिए उन्होंने भारी मन से अपनी पिस्टल ही बेचने का फैसला कर डाला। पिस्टल के लिए ग्राहक खोजने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया पर यह सूचना डाली। एक उदीयमान शूटर ने यह पोस्ट देखकर इसकी जानकारी 'हिन्दुस्तान' को दी। उसने फुटबॉलर अविनाश शर्मा की तरह देवव्रत की व्यथा भी प्रकाशित करने की अपील की।
पिस्टल बेचने का फैसला बेहद कठिन
देवव्रत ने बताया कि पिस्टल बेचने का फैसला बहुत ही कठिन है। यह पिस्टल एक तरह से उनका जीवन है। यही उनकी आजीविका का जरिया है। वो शायद दोबारा पिस्टल खरीद भी नहीं पाएंगे। मगर अब उनके पास और कोई रास्ता भी नहीं है। वह अपने मकान मालिक का भी शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने पांच महीने तक उनका सहयोग किया।
कमाल के शूटर रहे हैं देवव्रत
देवव्रत ने 2001 से 2015 तक डिस्ट्रिक्ट और इंटर डिस्ट्रिक्ट शूटिंग कॉम्पटीशन में लगातार मेडल जीते। 2006 से 2009 तक स्टेट में .25 मीटर स्टैंडर्ड पिस्टल में मेडलिस्ट रहे। 2012 से 2019 तक लगातार पांच नेशनल खेले। 2012 में उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल मेन में इंडिया टीम ट्रायल के लिए सेलेक्शन पाया था। 2017 से उन्होंने बतौर कोच अपनी पारी शुरू की।