श्रीगोदारंगमन्नार ने चंदन की लकड़ी के विशालयकाय रथ में दिए दर्शन

श्रीगोदारंगमन्नार ने चंदन की लकड़ी के विशालयकाय रथ में दिए दर्शन
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लाखों श्रद्धालुओं ने ठाकुरजी के दर्शन व रथ खींचकर कमाया पुण्य

वृन्दावन। उत्तर भारत के प्रसिद्ध श्रीरंगनाथ मंदिर के दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव का आकर्षण रथ का मेला शुक्रवार को संपन्न हुआ, जिसमें विभिन्न प्रांतों व ग्रामीण अंचलों से आए श्रद्धालु भक्तों ने चंदन की लकड़ी के विशालकाय रथ में विराजमान भगवान श्रीगोदारंगमन्नार के दर्शन व रथ खींचकर स्वयं को धन्य किया।

प्रात: लगभग 7.30 बजे श्रीगोदारंगमन्नार को स्वर्ण पालकी में विराजमान कर निज मंदिर से रथ घर लाया गया। जहां मंदिर के पुरोहित विजयकिशोर मिश्र के आचार्यत्व में मंदिर के महंत एवं अन्य सेवायतों ने सस्वर मंत्रोचारण के मध्य पूजा अर्चना की। इसके बाद रथ के चारों पहियों के नीचे पेठे का फल रख प्रतीकात्मक बलि चढऩे के बाद शुभ मुहूर्त में रथ की सवारी का बगीचे की ओर प्रस्थान हुआ। चंदन की लकड़ी से निर्मित करीब 50 फुट ऊंचे रथ में माता गोदा (लक्ष्मीजी) के साथ विराजमान भगवान रंगनाथ (विष्णुजी) की अलौकिक छवि श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रही थी। भक्तजन भगवान गोदारंगमन्नार की एक झलक पाने को लालायित तथा रथ को खींचने के लिए सभी में होड़ सी मची थी। प्रात: करीब 8 बजे मंदिर से चला रथ 11.30 बजे रंगजी के बड़े बगीचा पहुंचा। जहां करीब 1 घंटे भगवान के विश्राम के बाद पुन: मंदिर के लिए प्रस्थान कर गया।

वहीं मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं के मनोरंजन हेतु लगे दो व तीन मंजिला झूले, डिस्को डांस झूला, जादू, खानपान के स्टॉल एवं घरेलू सामान की दुकानें आदि श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए थे और बच्चे, युवा व बुजुर्ग अपनी-अपनी पसंद के अनुसार खरीददारी कर लाभ ले रहे थे। मेला में उमडऩे वाले अपार जनसैलाब को देखते हुए पुलिस प्रशासन द्वारा चाकचौबंद व्यवस्था की गई, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। नगर निगम द्वारा स्थानीय कार्यालय के मुख्य द्वार पर खोया-पाया केंद्र लगाया गया, जिसमें निमगकर्मियों ने माइक पर आवाज लगाते हुए दर्जनों बिछुड़े श्रद्धालुओं को आपस में मिलवाया। वहीं समाजसेवी संस्थाओं द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधार्थ जगह-जगह शीतल जल व शरबत आदि की प्याऊ एवं प्राथमिक चिकित्सा शिविर लगाए गए।

रथ की सवारी के दौरान प्रमुख रूप से अनघा श्रीनिवासन, स्वामी रघुराज, श्रीनिवासन, माल्दा रंगाचार्य, रम्या गोवर्धन, राजेश दुबे, तिरुपति, आनंद, शशांक शर्मा, पंकज शर्मा, अनंत आचार्य, प्रेमबल्लभ शर्मा, प्रशांत शर्मा, चक्रपाणि मिश्र, हरि भाई, रणधीर, रंगा स्वामी, राजू स्वामी, साधना कुलश्रेष्ठ, जुगल आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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