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रायबरेली में राजनीतिक दलों को नहीं मिल रहा प्रत्याशी, बिना सेनापति के चुनाव लड़ रही हर दल की सेनाएं
रायबरेली। पूरे प्रदेश में रायबरेली ऐसी सीट रह गयी है, जहां पर किसी भी पार्टी ने उम्मीदवार नहीं उतारा। हर दल की सेना (कार्यकर्ता) बिना सेनापति के मैदान में है। चारों तरफ प्रचार कार्य चल रहा है, लेकिन किसी भी दल के उम्मीदवार का पता नहीं है। भाजपा में जिले का अथवा बाहरी का कयास लगाया जा रहा है तो कांग्रेस में प्रियंका आएंगी अथवा नहीं, इस पर बहस चल रही है।
दरअसल कांग्रेस दूसरे दलों के उम्मीदवारों का इंतजार कर रही है। सूत्रों से यह भी पता चल रहा है कि रायबरेली में आने से कहीं प्रियंका गांधी का कद राहुल गांधी से ऊपर न हो जाय, इस कारण कसम-कस चल रहा है। इस कारण परिवारिक सदस्य ही प्रियंका गांधी को रायबरेली से चुनाव मैदान में उतारना नहीं चाहते। इसको लेकर काफी मंथन का दौर चल रहा है। अब नामांकन की तिथि भी नजदीक आ रही हैं। इसके बावजूद अभी तक बात नहीं बनी है।
अमेठी कांग्रेस में निराशा
वहीं कांग्रेस तो अमेठी में भी उलझी हुई है। इस बीच राबर्ट बाड्रा ने अमेठी से चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा भी जता चुके हैं। इसके बाद भी कांग्रेस वहां से किसी प्रत्याशी को नहीं दे रही है। अब दोनों अगल-बगल की सीटों पर कांग्रेस उलझी हुई है। इससे धीरे-धीरे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में निराशा बढ़ती जा रही है। उधर अमेठी में भाजपा उम्मीदवार स्मृति इरानी रोज सभाएं कर राहुल गांधी को ललकार रही हैं।
रायबरेली में असमंजस -
दूसरी तरफ रायबरेली में हर दल की चुप्पी कार्यकर्ताओं को सोचने को मजबूर कर रही है। भाजपा इस फिराक में बैठी है कि यदि सोनिया परिवार का कोई सदस्य वहां से आता है या नहीं, उस हिसाब से भाजपा अपना उम्मीदवार उतारेगी। उसी के गुणागणित में बसपा ने भी अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है।