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बागपत में मिले पृथ्वीराज काल के दुर्लभ सिक्के, जानिए क्यों है खास
बागपत। जिले में पृथ्वीराज चौहान एंव अन्य शासकों के दुर्लभ सिक्के मिले है। यह सिक्के चांदी और सोने के मिश्रित बताए जा रहे है। बागपत के इतिहासकार व शहजाद राय के निदेशक डॉ. अमित राय जैन ने यह सिक्के जिलाधिकारी को सौंपने की बात कही है।
शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक व इतिहासकार डॉ. अमित राय जैन ने बताया कि इतिहास की खोज के चलते वह रविवार को दिल्ली-सहारनपुर मार्ग स्थित काठा गांव में प्रसिद्ध टीके की जांच कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें पुरातात्विक स्थल निरीक्षण में दिल्ली अधिपति राजा पृथ्वीराज चौहान, राजा अनंगपाल देव, राजा मदनपाल, राजा चाहडा राजदेव के दुर्लभ 16 सिक्के प्राप्त हुए हैं। यह उपलब्धि बागपत एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इतिहास के लिए नया आयाम सिद्ध होगी, क्योंकि किसी भी वंश के शासकों के सिक्कों की श्रृंखला प्राप्त होना, वहां उस क्षेत्र पर उन राजाओं के अधिपत्य को सिद्ध करता है। मुद्रा शास्त्र के आधार पर शोध करने वाले शोधार्थियों के लिए यह खोज महत्वपूर्ण है।
कुषाण काल सभ्यताओं के मिलते रहे है अवशेष -
यह प्राचीन टीला हजारों वर्षों से यहां मौजूद है। यहां का स्थल निरीक्षण पहले भी वे कई बार कर चुके हैं। यहां से कुषाण काल एवं बाद की सभ्यताओं के अवशेष मृदभांड इत्यादि प्राप्त होते रहे हैं। अब 16 सिक्कों का प्राप्त होना यह सिद्ध करता है कि यहां कोई बड़ी मानव बस्ती उस समय की रही होगी, जहां पर व्यापारिक लेन-देन में सिक्कों का प्रचलन था।
चांदी एवं तांबा मिश्र धातु से निर्मित है काठा से प्राप्त सिक्के -
बताया गया है कि यह बिलन धातु के सिक्के हैं, जिसका निर्माण चांदी एवं तांबे को मिश्र करके किया जाता था। चांदी उस समय अति दुर्लभ थी तो सिक्कों को बनाने में उस में तांबे की मात्रा भी मिलाई जाती थी। 16 दुर्लभ सिक्कों को जनपद बागपत के जिलाधिकारी राजकमल यादव जी को सौंपा जाएगा ताकि उन पर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मेरठ सर्किल शाखा को भेजा जा सके। इतिहासकार अमित राय जैन की मांग है कि प्राचीन टीला पर भी यथासंभव उत्खनन का कार्य किया जाए ताकि यहां पर छुपे हुए दुर्लभ सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामने लाया जा सके।