छोटी काशी मंडी की शिवरात्रि

छोटी काशी मंडी की शिवरात्रि
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डॉ. प्रेरणा चतुर्वेदी

वेबडेस्क। फागुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व माना जाता है। जहां गृहस्थ शिवरात्रि को शिव पार्वती के विवाह दिवस रूप में मनाते हैं। वहीं संन्यासी और तपस्वी इसे शिव के कैलाश के साथ एकाकार होने के रुप में मनाते हैं। इस दिन शिव ने अपना सारा ज्ञान कैलाश में सुरक्षित कर दिया। शिवभक्त आज के दिन रात्रि जागरण करके अपना आध्यात्मिक उत्थान और जागरण करते हैं।

महाशिवरात्रि की दूसरे दिन से मंडी हिमाचल प्रदेश की महाशिवरात्रि का सात दिवसीय मेला लगता है। विभिन्न रंगारंग कार्यक्रमों के साथ आध्यात्मिकता का अद्भुत मेल सांस्कृतिक जागरण की अलख जगाता है। इसकी लोकप्रियता इतनी है कि इसे अंतर्राष्ट्रीय त्यौहार का रूप दिया गया है। 81 मंदिरों वाले मंडी शहर को "पहाड़ों की काशी" और "छोटी काशी" जैसे नामों सुशोभित किया जाता है। शिवरात्रि के दौरान मान्यता है कि यहां 200 से अधिक देवी-देवता एकत्र होते हैं ।

हिमाचल प्रदेश में शिव पूजा अति प्राचीन है। भगवान विष्णु को यहां राजा माना जाता है। मान्यता है कि सन 1788 में मंडी रियासत के राजा ईश्वरीय सेन कांगड़ा के महाराजा संसार चंद की 12 वर्ष से अधिक कैद से मुक्त होकर मंडी पहुंचे। तब प्रजा ने उनकी रिहाई और शिवरात्रि पर्व मनाया।

ज्ञातव्य है कि मंडी शहर के राजा देव माधवराव की पालकी निकलने के साथ ही महाशिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत होती है। पुरानी मंडी रियासत के राजा बाणसेन जो महान शिव भक्त थे। उन्होंने मंडी हिमाचल प्रदेश में शिव विवाह रचाने की परंपरा का प्रारंभ किया। सन 1527 में राजा आजबेर सेन में एक देव महादेव को समर्पित बाबा भूतनाथ का मंदिर बनवाया।सन 1637 में मंडी के राजा सूरज सिंह ने अपने से 18 पुत्रों की मृत्यु पश्चात भगवान विष्णु की रजत प्रतिमा निर्माण कराकर भगवान विष्णु को सौंप दिया। अतः इस प्रकार कहा जा सकता है कि मंडी हिमाचल प्रदेश की शिवरात्रि भगवान विष्णु की अध्यक्षता में मनाई जाती है।

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