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यूक्रेन से लौटा छात्र-कस्बेवासियों ने पहनाया फूल-माला
बबेरू। यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे बबेरू तहसील के एक शिक्षक जय रूप निषाद के पुत्र आलोक चंद्र की सकुशल घर वापसी से परिवार सहित राजनीतिक दलों के लोग फूल मालाओं से स्वागत किया। वही प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते नहीं थक रहे। छात्र ने बताया कि भारत मां का तिरंगा झंडा लेकर निकलने पर कोई भी बोलता नहीं था। बल्कि सम्मान देते थे। सरकार अपने खर्च पर उसे सकुशल घर तक पहुंचाया है।
तहसील मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत समगरा का मजरा राम प्रसाद कोटेदार का डेरा निवासी जयरूप निषाद जो पूर्व माध्यमिक विद्यालय समगरा में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत है। उनका 22 वर्षीय बेटा आलोकचंद्र यूक्रेन के शहर इवानो फ्रांकीप मेडिकल कालेज में सन 2019 में एमबीबीएस में एडमिशन कराया था। उसी शहर में एक किराए का कमरा लेकर पढ़ाई कर रहा था लेकिन अचानक यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध शुरू होते ही कक्षाएं बंद कर ऑनलाइन शुरू कर दी गई थी घर बैठकर पढ़ाई पूरी कर रहे थे लेकिन लड़ाई जब तेज होने लगी तो हम लोगों ने वहां से निकलने के प्रयास शुरू कर दिए लेकिन शहर से बाहर जाने पर डर लग रहा था।
इसी बीच कॉलेज प्रशासन के अलावा भारत के दूतावास से संपर्क करना किया। 26 फरवरी को सुबह एक प्राइवेट बस से रोमानिया बॉर्डर पर दिन के 4 बजे पहुंचे लेकिन भूखे प्यासे करीब 10 किलोमीटर पैदल भी चलना पड़ा तब जाकर रोमानिया बॉर्डर को क्रश किया और एयरपोर्ट तक पहुंचे । युद्ध के समय माता-पिता व परिवार के लोग परेशान थे लेकिन उनके मोबाइल पर लगातार हम संपर्क में थे और मां-बाप किसी तरह से परेशान ना हो उसके लिए हम उसे लगातार कह रहे थे कि हम सुरक्षित हैं हम जल्दी घर वापस आ रहे हैं। भारत सरकार भी अपने सभी भारतीयों को अपने देश लाने के लिए पूरी तरह प्रयासरत है हर व्यक्ति से संपर्क कर रही है छात्र ने यह भी बताया कि मंगलवार की रात्रि करीब 2ः30 में दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे दिल्ली एयरपोर्ट से हमें एयरपोर्ट यूपी भवन दिल्ली लाया गया। वहां पर नाश्ता और भोजन कराने के बाद सरकार ने अपने निजी वाहन से गांव वापस भेजा है। छात्र के पहुंचते ही भाजपा नेता अजय सिंह पटेल, सुनीता नामदेव, शिवचंद्र मिश्र, विवेकानंद गुप्त, सुनीता बाल्मीकि, देवआनंद द्विवेदी, सोहन सिंह के राजू अग्रहरि, राजेश सहित तमाम ग्रामीण व शिक्षक नेता ग्रामीणों ने त फूल माला पहनाकर स्वागत किया। छात्र आलोक चंद्र ने बताया कि इवानो फ्रंकीप शहर से 26 फरवरी को सुबह प्राइवेट बस से चले शाम 4 बजे रोमानिया बॉर्डर पहुंचे बस का किराया लगा 1800 रुपये लगा।
इवानो फ्रांकीप शहर में माइकल नामक ब्यक्ति के यहां किराये में 7000 हजार रुपये के किराए पर 3 छात्र रहते थे जिसमें बिजली, गैस, पानी का बिल अलग से लगता था। छात्र ने यह भी बताया कि भारत मां का तिरंगा लेकर निकलने पर रूसी सेना हम लोगों से नहीं बोलती थी बल्कि सहयोग देती थी इसलिए कोई डर नहीं था लेकिन डर के साए में पूरी रात बिताते थे। चालक रामकुमार मंगल का कहना है कि बुधवार की सुबह 2ः30 रात में वह दिल्ली से 3 छात्रों को लेकर चला था जिसमें एक छात्र को आगरा, दूसरे को कानपुर पर और तीसरे को बबेरू तहसील के ग्राम समगरा माता पिता को सुपुर्द किया है। सरकार ने अपने खर्च पर भेज है। छात्र आलोक चंद्र के घर पहुंचते ही माया देवी लिपट गई और खुशी के आंसू झांकने पर पड़े उन्होंने मोदी को धन्यवाद देते हुए रो पड़ी।