पुलिस के हस्तक्षेप से लावारिश शवों को उठाने वाले का हुआ अंतिम संस्कार

पुलिस के हस्तक्षेप से लावारिश शवों को उठाने वाले का हुआ अंतिम संस्कार
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ललितपुर। जनपद में लावारिस शवों को उठाकर उनकी अंतिम यात्रा करवा कर अंतिम संस्कार करने वाले का शव का अंतिम संस्कार मौत होने के दो दिन बाद पुलिस के हस्तक्षेप से परिजनों द्वारा कराया गया। क्योंकि उसकी मौत होने के बाद उसके परिजनों ने शब का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था। जिसके बाद पुलिस ने मृतक के शब को अस्पताल के मोर्चरी हाउस में रखवा दिया था। बताया गया है कि मृतक रेलवे लाइन के साथ-साथ अन्य कई ऐसी जगह से क्षत-विक्षित सड़ी-गली हालत में ऐसे लावारिस शबों को उठाकर अंतिम संस्कार करने का काम करता था, जिसकी शिनाख्त नहीं हो पाती थी या फिर ऐसे शवों का कोई दावेदार नहीं मिलता था। लेकिन आज उसके शव को भी अपने अंतिम संस्कार के लिए दो दिनों तक अपनी परिजनों का इंतजार करना पड़ा।

जनपद में एक व्यक्ति की मौत के बाद परिवार की मृत हुई संवेदनाओं का मामला संज्ञान में आने के बाद रोंगटे खड़े हो गए। बताया गया है कि जनपद की मुक्ति संस्था के लिए काम करने वाले थाना जखौरा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम छिपाई निवासी राहुल नमक युवक करीब एक सप्ताह पूर्व उस समय ट्रेन की चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गया था, जब वह रेलवे लाइन से दुर्घटना के बाद कटे पड़े हुए शवों को उठाने का काम कर रहा था। दुर्घटना की सूचना मिलने पर पुलिस ने गंभीर रूप से घायल राहुल को इलाज के लिए जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया था। जहां प्रार्थिमिक उपचार के बाद उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था । परिजनों को सूचना देने के बाद भी परिजन जब अस्पताल नहीं पहुंचे, तब उसके एक साथी रामू ने पुलिस और डॉक्टरों की मदद से उसे झांसी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था। जहां सूचना मिलने पर उसके परिजन अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन उसे देखकर तुरंत ही वापस आ गए थे और फिर उसके बाद उन्होंने उसकी कोई खैर खबर नहीं ली । जबकि मृतक करीब एक सप्ताह तक जिंदगी और मौत के बीच झांसी मेडिकल कॉलेज में झूलता रहा और आखिरकार मंगलवार को सुबह-सुबह उसकी मौत हो गई। जिसके बाद रामू ने उसका पोस्टमार्टम कराया और इसकी सूचना उसके परिजनों को दी। लेकिन जब उसके परिजनों ने उसके शव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। तब रामू उसके शव को एंबुलेंस में रखकर सदर कोतवाली पहुंचा, जहां घंटे वह सिर्फ इस इंतजार में खड़ा रहा कि पुलिस उसकी क्या मदद करती है । आखिरकार जब पुलिस के समझाने बुझाने के बाद झूठ मृतक के परिजनों ने उसे स्वीकार करने से मना कर दिया, तब पुलिस ने मृतक के शव को अस्पताल के मोर्चरी हाउस में रखवा दिया और उसके अंतिम संस्कार करवाने वालों का इंतजार करने लगे। लेकिन जब परिजन नहीं माने तब पुलिस ने हस्तक्षेप करते हुए परिजनों को काफी समझाया व दबाब भी बनाया। पुलिस के समझाने के बाद परिजनों मौत के करीब 48 घंटे बाद शव को अपनी सुपुर्दगी की में लेकर उसका अंतिम संस्कार किया । देखने पर घटना बहुत छोटी सी है, लेकिन आज लोगों की संवेदनाएं इस हद तक मर चुकी हैं कि वह अपने और परायों में फर्क भी नहीं कर पाती । वह भी ऐसे व्यक्ति के लिए जो हमेशा निस्वार्थ भाव से ऐसे लोगों की भलाई करता रहा जिसका इस दुनिया में कोई नहीं था । अंतिम समय में वह भी अपनों के लिए जूझता रहा और उसका शव भी अंतिम संस्कार की चाहत में 48 घंटे लाबारिसों की हालत में पड़ा रहा।

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