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मंदिरों में तैयारी पूरी, कल गूंजेगा हर-हर-बम-बम का उदघोष
बांदा। महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। शहर के बामदेवेश्वर, कालिंजर के नीलकंठेश्वर, अतर्रा के गौराबाबाधाम, खप्टिहाकला के महाकालेश्वर व कमासिन के यमरेहीनाथ मंदिर में पूजा अर्चना को श्रद्धालुओं का भारी जमघट लगने की संभावना जताई जा रही है। प्रशासन ने भी भीड़ को नियंत्रित करने के उपाय किए हैं।
कालिंजर में ऐतिहासिक पौराणिक दुर्ग में शिवरात्रि को लेकर तैयारियां जोरों पर है। कालिंजर दुर्ग में विराजमान भगवान नीलकंठेश्वर के दर्शन पूजन को यूपी-एमपी से शिवरात्रि में हजारों श्रद्धालु आते हैं। समुद्र मंथन में निकले हलाहल ( विष ) पान करने के बाद भगवान शिव यहां आ कर विराजमान हुए। जिनको यहां शांति प्राप्त हुई। नीलकंठ मंदिर के मुख्य पुजारी ठाकुर राजकुमार उर्फ गुड्डू सिंह ने बताया कि शिवरात्रि को लेकर तैयारियां की जा रही है। नीलकंठेश्वर में कल 1 मार्च को शिवरात्रि के अवसर पर सुबह से ही पूजा अर्चना का कार्यक्रम होगा। दोपहर बाद से भगवान नीलकंठ का श्रृंगार शुरू होगा। शाम तक श्रंगार किया जाएगा रात्रि में भगवान नीलकंठ माता पार्वती के विवाह का कार्यक्रम किया जाएगा जो की पूरी रात चलेगा। नीलकंठ मंदिर के पुरोहित शंकर प्रताप मिश्र के द्वारा विवाह कार्यक्रम करवाया जाता है। मंदिर के मुख्य पुजारी ठाकुर राजकुमार उर्फ गुड्डू सिंह ने बताया कि कार्यक्रम की पूरी तैयारियां कर ली गई है। कालिंजर दुर्ग में लगने वाला प्रवेश शुल्क 1 मार्च को नहीं लगेगा। यह जानकारी भारतीय पुरातत्व विभाग के सर्किल आफिसर सतेंद्र कुमार ने दी।
इसी तरह शहर के बामदेवेश्वर मंदिर में आस्थावानों की भारी भीड़ सुबह से लगती है। यह पूरे दिन चलती है। मंदिर में दोपहर तक पूजा-अर्चना व शाम को आरती का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। मंदिर प्रबंधक आशुतोश दीक्षित कहते हैं कि नगरवासियों के सहयोग से यह कार्यक्रम संचालित होता है।
गौराबाबाधाम अतर्रा -
अतर्रा कस्बा के गौराबाबा मंदिर में भगवान शिव विराजमान है। हनुमान जी, विष्णु, राधाकृष्ण, राम-सीता और लक्ष्मण के मूर्तियां भी मंदिर में हैं। इस मंदिर परिसर में सालभर महामृत्युंजय जप, भंडारे, श्रीमद्भागवत कथा धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं। मंदिर में रामनाम संकीर्तन गूंजती रहती है। मंदिर में आकर श्रद्धालु सुख और शांति की अनुभूति करते हैं। इलाके के लोग अपने किसी कार्य की शुरूआत इस मंदिर में बाबा के दर्शन के साथ करते हैं। भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
यमरेहीनाथ कमासिन -
कमासिन क्षेत्र का धार्मिक स्थल व आस्था का केंद्र ग्राम पंचायत बंथरी में यमरेहीनाथधाम मंदिर है जहां भगवान भोलेनाथ विराजमान है। इस धार्मिक स्थल की महत्ता अंग्रेजों के जमाने से हैं। यहां सैकड़ों साल से जनपद के अलावा चित्रकूट, कौशांबी, फतेहपुर, सतना, इलाहाबाद जनपदों के श्रद्धालु हर वर्ष बसंत पंचमी के अवसर पर जलाभिषेक व पूजा अर्चना करने के लिए आ रहे हैं। कई वर्षों से 12 महीने राम नाम संकीर्तन हो रही है। इसके अलावा यहां पर प्रत्येक सोमवार को जहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। मेला भी लगता है। इसके अलावा मकर संक्रांत पर भी बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है जो व्यक्ति भक्ति भाव से मनोकामना की पूर्ति के लिए मनौती मानता है भोलेनाथ उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। यह धार्मिक स्थल कमासिन राजापुर मार्ग के दक्षिण मैं करीब 2 किलोमीटर दूर स्थित है। कमासिन से आने जाने के लिए ई रिक्शा उपलब्ध रहता है। इसके अलावा अमलोखर चौराहा से कर्वी जाने वाली प्राइवेट बस से स्थल पहुंचा जा सकता है।
कालेश्वरनाथ खप्टिहाकला -
कालेश्वर मंदिर में भगवान भूत भवन भोलेनाथ विराजमान है। वही कार्तिकेय, गणेश ,पार्वती भी विराजमान है तथा बगल में स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर भी स्थित है। इस मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर दो दिवसीय विशाल मेला एवं दंगल का आयोजन होता है। प्रत्येक रविवार को मंदिर में कीर्तन का आयोजन होता है। वही कालेश्वर मंदिर में शिवरात्रि के पहले दिन अखंड रामायण का पाठ शुरू होने के साथ, शिवरात्रि के दिन विशाल यज्ञ करने के साथ भंडारे का आयोजन होता है। आस-पास के गांव खपटिहाकला, निवाइच, पपरेंदा, पिपरहरी, अतरहट, परसौडा़, जमालपुर लामा समेत तीन दर्जन के गांव यहां दर्शन करने आते हैं खास बात यह है कि इस मंदिर में जलाभिषेक के साथ-साथ दुग्धाभिषेक भी होता है।