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UP NEWS: तीन तलाक, हलाला और UCC पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव ने क्या कह दिया...
UP NEWS : इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज रविवार को विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में न्यायमूर्ति शेखर यादव ने ट्रिपल तलाक, हलाला और यूनिफॉर्म सिविल कोड पर जो बयान दिया वह अब चर्चा का विषय बन गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज पहले भी अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं।
उन्होंने अपने बयान में कहा कि हमारे शास्त्रों और वेदों में जिन महिलाओं को देवी का दर्जा दिया गया है, उनका कोई अपमान नहीं कर सकता। विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में जस्टिस शेखर कुमार यादव ने अपने बयान में कहा कि किसी को भी चार पत्नियां रखने, हलाला करने या तीन तलाक देने का अधिकार नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि लोग सोचते हैं कि हमें तीन तलाक कहने और महिलाओं को गुजारा भत्ता न देने का अधिकार है। यह अधिकार काम नहीं करेगा। उन्होंने आगे कहा कि समान नागरिक संहिता ऐसी चीज नहीं है जिसकी वकालत वीएचपी, आरएसएस या हिंदू धर्म करता है। देश का सर्वोच्च न्यायालय भी इस बारे में बात करता है।
आगे उन्होंने कहा हमारे हिंदू धर्म में भी बाल विवाह, सती प्रथा और बालिकाओं की हत्या जैसी कई सामाजिक कुरीतियाँ थीं, लेकिन राम मोहन राय जैसे सुधारकों ने इन कुरीतियों को खत्म करने के लिए संघर्ष किया। लेकिन जब मुस्लिम समुदाय में हलाला, तीन तलाक और गोद लेने से जुड़े मुद्दों जैसी सामाजिक कुरीतियों की बात आती है, तो उनके खिलाफ खड़े होने की हिम्मत नहीं होती या यूं कहें कि मुस्लिम समुदाय की ओर से इन मुद्दों को संबोधित करने की कोई पहल नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि गंगा में डुबकी लगाने या चंदन लगाने वाला व्यक्ति ही हिंदू होने की एकमात्र परिभाषा नहीं है। इस देश में जो भी इस भूमि को अपनी मां मानता है, जो संकट के समय देश के लिए अपनी जान देने के लिए तैयार रहता है, चाहे उसकी धार्मिक प्रथाएं या मान्यताएं कुछ भी हों, चाहे वह कुरान या बाइबिल का पालन करता हो, वह हिंदू है।
उन्होंने आगे कहा कि मेरा परिचय तब तक अधूरा है जब तक कि यह इस तथ्य से न जुड़ जाए कि मैं उस देश का वासी हूं जहां गंगा बहती है।