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अवैध खनन की वजह से गहरा सकता है जल संकट, प्रशासन की शह से धड़ल्ले से निकल रही बालू
-जिला प्रशासन की शह से धड़ल्ले से निकल रही बालू
फोटो संख्या-1
बांदा। गर्मी का सीजन शुरू हो रहा है। केन नदी बांदा की जीवनदायिनी नदी है। जिसके कारण जिले को पर्याप्त जल मिल जाता है। लेकिन बालू के कारोबार में लगे बालू माफिया केन की धारा को रोककर जगह-जगह अवैध खनन में लगे हैं। जिससे गर्मी में जल संकट खड़ा होने की संभावना दिखाई देती है। बालू खनन माफिया एनजीटी नियमों को ताक में रखकर अवैध खनन करते रहते हैं। जगह-जगह जलधारा को रोककर पुल बना लेते हैं और दिनरात पोकलैंड मशीनें उनकी खदानों में गड़गड़ाती रहती हैं। बालू के चलते वहां आसपास के किसानों की हालत खराब है। उनमें फसलें नहीं हो पा रहीं जिसके चलते किसान भुखमरी की कगार में पहुंच रहे हैं। कई बार जिला प्रशासन को किसानों ने ज्ञापन दिया क्षणिक कार्यवाही होती है पुनः प्रशासन से सांठगांठ करके बालू खनन माफिया बालू के कारोबर में लिप्त हो जाते हैं। चुनाव के समय में तो खनन माफिया प्रशासन की व्यस्तता को देखते हुए और तेजी से खनन काम में जुटे हुए हैं। उनको पता है कि कोई अधिकारी जांच करने नहीं आएगा। जिससे उनके हौंसले बुलंद हैं।
खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि अवैध खनन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। शहर मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर अछरौड़ खदान में नदी के बीचो-बीच एक रास्ता बनाकर माफिया पुल से अवैध बालू से भरे ट्रकों की निकासी कर रही है। हैवी मशीन से अवैध खनन किया जा रहा है। यह तस्वीरों में देखा जा सकता हैं। हेवी वेट पोकलेंड मशीन लगी हुई है, जो कि प्रतिबंधित मशीन है। हालांकि, सेम मैकेनाइज्ड मशीन ऐसे बुलडोजर या जेसीबी का उपयोग रेस्क्यू कार्यों के लिए खदान में किया जा सकता है, लेकिन मशीन से पानी के नीचे खनन नहीं किया सकता है। दिन-रात किए जा रहे अवैध खनन पर जिला प्रशासन मुंह फेरे है।