बहराइच:विश्व कछुआ दिवस पर कछुओं की सुरक्षा एवं संरक्षा के लिए वेवसाइट और ऐप हुआ लाँच

बहराइच:विश्व कछुआ दिवस पर कछुओं की सुरक्षा एवं संरक्षा के लिए वेवसाइट और ऐप हुआ लाँच
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अरुणिमा ने कहा कि विश्व कछुआ दिवस प्रत्येक वर्ष सम्पूर्ण विश्व में कछुओं के प्रति जानकारी एवं जागरूकता बढ़ाने, कछुओं के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाने तथा कछुआ मित्रों के संरक्षण में आम जन को जोड़ने के लिये मनाया जाता है ।

बहराइच (अतुल अवस्थी): रविवार को विश्व कछुआ दिवस के अवसर पर कछुओं की प्रजाति को आसानी से पहचानने और उनको सही स्थान तक पहुचाने के उद्देश्य से कछुआ की सुरक्षा और संरक्षा के लिए काम कर रही टर्टल सर्वाइवल एलायन्स इन्डिया की ओर से वेव साइट और एक ऐप लॉन्च किया गया है। रविवार से इस वेबसाइट और ऐप के माध्यम से लोग कछुओ के बारे में जागरूक हो सकेंगे।

सरयू नदी के किनारे तीन साल से शोध कर रही अरुणिमा ने बताया कि बहराइच में सरयू का किनारा कछुओं के विकास के लिए बहुत उपयुक्त है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कछुओं की 15 प्रजातियों में से सरयू के किनारे 11 प्रजातियां पाई जाती हैं। इतनी अधिक प्रजातियों के मिलने से प्रतीत होता कि बहराइच जिले का इलाका कछुओं के कुनबे के लिए काफी अनुकूल है। शोध छात्रा अरुणिमा ने बताया कि इसी उद्देश्य से वर्ष 2008 से कछुओ के संरक्षण के लिए एक परियोजना संचालित है। इस परियोजना के तहत स्कूली बच्चों, मछुआरों और नदी के किनारे रहने वाले लोंगो को कछुओं के बारे में जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आमजन में जागरूकता लाने के उद्देश्य से नई वेवसाइट और ऐप की मदद से अब और आसानी से दुलर्भ प्रजातियों को पहचान कर बचाया जा सकेगा।

शोध छात्रा अरुणिमा ने बताया कि कुछ दशक से स्वच्छ जलीय कच्छप अपने परिवास के विनाश, अवैध व्यापार एवं मांस तथा अंडे के शिकार के चलते अपने को बचाने के लिये अत्यन्त चुनौतियों का सामना कर रहें हैं।

उन्होंने बताया कि भारत में कछुओं की 29 प्रजातियाँ पायी जाती हैं। जिनमें 24 प्रजाति के कच्छप एवं 5 प्रजाति के कुर्म हैं जिनमें से अधिकांश कछुए भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की विभिन्न अनुसूचियों के अन्तर्गत संरक्षित हैं। किन्तु इन कछुओ की प्रजातियों, इनके विचरण के क्षेत्रों तथा प्रकृति में इनकी पारिस्थितिक महत्व के बारे में लोगों का ज्ञान अत्यन्त कम है।

टर्टल सर्वाइवल एलायन्स इन्डिया, एक दशक से अधिक समय से सम्पूर्ण भारत में विभिन्न कछुओं के विभिन्न प्रजाति वाले क्षेत्र में लगातार विभिन्न संरक्षण, अनुसंधान तथा सामुदायिक कार्यक्रमों के माध्यम से स्वच्छ जलीय कछुओं के अतिरिक्त अन्य जलीय जीवों तथा उनके परिवासों के संरक्षण का कार्य कर रहा है। 5 कछुआ प्राथमिकता वाले क्षेत्र में यह कार्यक्रम 8 विभिन्न प्रजातियों के साथ विभिन्न इन-सीटू संरक्षण कार्यक्रमों, संरक्षित कालोनी तथा संरक्षित प्रजनन कार्यक्रम के प्रति प्रतिबद्य है ।

अरुणिमा ने कहा कि विश्व कछुआ दिवस प्रत्येक वर्ष सम्पूर्ण विश्व में कछुओं के प्रति जानकारी एवं जागरूकता बढ़ाने, कछुओं के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाने तथा कछुआ मित्रों के संरक्षण में आम जन को जोड़ने के लिये मनाया जाता है ।

इस वेबसाइट और ऐप से कछुओं के बारे में हो सकते जागरूक

टर्टल सर्वाइवल एलायन्स इन्डिया की ओर से कछुआ दिवस के अवसर पर आमजन को जागरूक करने के लिए डब्लूडब्लूडब्लू डॉट इंडियन टर्टल्स डॉट इन वेबसाइट और कुर्मा ऐप लांच किया गया है।

प्लास्ट्रान पिकासो कला प्रतियोगिता का आयोजन

टर्टल सर्वाइवल एलायन्स (टीएसए) इन्डिया ने इस वर्ष विश्व कछुआ दिवस के अवसर पर प्लास्ट्रान पिकासो नामक अप्रत्यक्ष कला प्रतियोगिता का आयोजन किया है। जिसमें नये प्रतिभागियों की चित्रकला को आमन्त्रित किया गया है। जिससे वे भविष्य में कछुओं एवं उनके आवास के संरक्षण में अपना सहयोग कर सकें।

कछुआ माह के रूप में मनाया जा रहा मई माह

टीएसए ने इस वर्ष मई माह को कछुआ माह के रूप में मनाते हुये विभिन्न कलाकारों / चित्रकारों, लेखकों, फोटोग्राफरों एवं वन्यजीव उत्साहियों को कछुओं के संरक्षण के प्रति प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया के मंच पर प्रतिदिन कछुओ के सन्दर्भ में विभिन्न सूचनात्मक पोस्ट डाल कर लोगों को जागरूक करने की शुरुआत की है।

कछुओं के 65 सौ से अधिक अंडों को किया संरक्षित

अब तक टीएसए के इन कार्यक्रम के द्वारा साल एवं ढोढ़ प्रजाति के कछुओं की 6500 से अधिक अंण्ड़ो को संरक्षित किया गया है तथा 5000 से अधिक साल एवं ढोढ़ प्रजाति के नवजातों को राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य, उत्तर प्रदेश में चम्बल नदी में संरक्षित किया गया है।

लखनऊ के कुकरैल में 13 प्रजातियां हैं संरक्षित

शोध छात्रा अरुणिमा ने बताया कि कुकरैल घड़ियाल पुनर्वास केन्द्र, लखनऊ में संरक्षण एवं प्रजनन कार्यक्रम के अन्तर्गत स्वच्छ जलीय कछुआ की 13 प्रजातियों का वैज्ञानिक ढंग से प्रजनन करा कर उनकी निगरानी भी की जा रही है।

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